
संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हंगामा हुआ, जिससे बीजेपी के दो सांसद चोटिल हो गए। आरोप है कि राहुल गांधी ने इन सांसदों को धक्का दिया था, हालांकि राहुल ने इन आरोपों को नकारा है। इस घटना के बाद विवाद बढ़ गया और संसद की मर्यादा और गरिमा को ठेस पहुंची। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए बयान को लेकर कांग्रेस और विपक्ष ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान जो हुआ, वह भारतीय संसद के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए। सारंगी का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी पर धक्का देने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि राहुल गांधी ने मुकेश राजपूत को धक्का दिया, जिससे वह सारंगी पर गिर पड़े। हालांकि, राहुल गांधी ने इन आरोपों को झूठा बताया। संसद परिसर में हुई इस घटना ने संसदीय इतिहास पर एक दाग छोड़ा है। यह सवाल उठता है कि विरोध में इतना उग्र रूप क्यों लिया गया कि किसी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। क्या हमारे माननीयों को संसद की मर्यादा और संविधान की शपथ का सम्मान नहीं रखना चाहिए?
संविधान में हर सांसद के लिए शपथ तय है, जिसमें कहा गया है कि वे भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेंगे और पद के कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करेंगे। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह सियासत है, जिसमें धक्का-मुक्की या हाथापाई हो? कम से कम संविधान और शपथ की लाज तो रखनी चाहिए। हमारे माननीयों को यह समझना होगा कि जिस संविधान और महापुरुषों की वे बात करते हैं, उनका सम्मान करना चाहिए। आंबेडकर, गांधी और नेहरू भले ही एक-दूसरे से असहमत रहे, लेकिन वे कभी भी ऐसी हिंसा या धक्का-मुक्की का सहारा नहीं लेते थे। अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं के समय में भी विचारों का विरोध करते हुए सम्मान बनाए रखा जाता था। आंबेडकर और गांधी ने अहिंसा की सीख दी थी और उन्होंने कभी अपने विरोध से किसी को आहत नहीं किया। क्या हमारे नेता उनसे यह सीख नहीं ले सकते?
बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी ने कहा कि राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया, जिससे वह उनके ऊपर गिर गए और वह भी नीचे गिर गए। इस घटना में बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हुए, जिन्हें दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में भर्ती किया गया है। राहुल गांधी ने इस पर सफाई दी कि वह संसद के प्रवेश द्वार से अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बीजेपी सांसद उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे और धमका रहे थे। हालांकि राहुल ने इसे अपनी सफाई में बताया, लेकिन अगर किसी को चोट पहुंची है तो यह संसदीय गरिमा और मानवता के खिलाफ है।
लोकतंत्र में विरोध करना एक स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है, लेकिन जब संसद में मार-पीट या धक्कामुक्की होती है, तो उसे पूरी दुनिया में आलोचना का सामना करना पड़ता है। भारतीय संसद और विधानसभाओं में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जैसे फरवरी 2017 में तमिलनाडु विधानसभा में विश्वास मत के लिए हुए विशेष सत्र के दौरान हंगामा हुआ था। ऐसी घटनाएं यूपी विधानसभा में भी हो चुकी हैं। संविधान और संसद की मर्यादा की रक्षा केवल शपथ लेने से नहीं होती, बल्कि महापुरुषों के विचारों को दिल से अपनाने की आवश्यकता है। तभी हम संविधान और संसद की गरिमा की रक्षा कर सकते हैं।