
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित जहान-ए-खुसरो महोत्सव में अपनी भागीदारी का अनुभव साझा किया। यह प्रतिष्ठित सूफी संगीत और संस्कृति महोत्सव इस वर्ष अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। सुंदर नर्सरी में 28 फरवरी को आरंभ हुआ यह आयोजन 2 मार्च तक चलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने महोत्सव की निरंतर सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जहान-ए-खुसरो ने बीते 25 वर्षों में लोगों के दिलों में विशेष स्थान बनाया है।
इस अवसर पर उन्होंने पूरे देशवासियों को रमजान की शुभकामनाएं दीं और आगा खान के योगदान की सराहना की, जिन्होंने सुंदर नर्सरी को एक भव्य सांस्कृतिक स्थल में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अमीर खुसरो की विरासत और सूफी संस्कृति पर चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने अमीर खुसरो की अमूल्य विरासत की सराहना करते हुए कहा कि खुसरो ने अपने समय में भारत को महानतम राष्ट्रों में गिना था। उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ भाषा बताया था और भारतीय विद्वानों को अद्वितीय माना था। प्रधानमंत्री ने सूफी संस्कृति की विशेषताओं पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि जब यह परंपरा भारत आई, तो यह सहज रूप से यहां की परंपराओं और संस्कृति में रच-बस गई।
भारतीय हस्तशिल्प और शिल्पकारों को बढ़ावा
महोत्सव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने टीईएच बाजार (The Exploration of the Handmade) का भी दौरा किया। इस प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न जिलों के पारंपरिक हस्तशिल्प, कलाकृतियां और हथकरघा उद्योग से जुड़ी लघु फिल्में प्रदर्शित की गईं। प्रधानमंत्री ने स्थानीय शिल्पकारों से संवाद किया और उनकी कारीगरी की सराहना की।
जहान-ए-खुसरो की ऐतिहासिक यात्रा
गौरतलब है कि जहान-ए-खुसरो महोत्सव की शुरुआत 2001 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली ने रूमी फाउंडेशन के तहत की थी। यह महोत्सव दुनिया भर के कलाकारों को एक मंच पर लाकर अमीर खुसरो की सूफी विरासत का उत्सव मनाता है।
इस वर्ष महोत्सव में विशेष प्रस्तुति “नजर-ए-कृष्ण” का आयोजन किया गया, जो भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने महोत्सव की प्रशंसा करते हुए कहा, “जहान-ए-खुसरो की एक अनोखी खुशबू है। यह हिंदुस्तान की मिट्टी की खुशबू है!”