रविवार को पटना के गांधी मैदान में जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर द्वारा आयोजित छात्र संसद में बवाल हो गया। बिना प्रशासन की अनुमति के हुए इस आयोजन में छात्रों और पुलिस के बीच टकराव देखने को मिला। पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।

प्रशांत किशोर का पक्ष
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने बिना अनुमति प्रदर्शन करने के सवाल पर कहा, “गांधी मैदान किसी के पिताजी का तो है नहीं। यह बिहार के लोगों का है। अगर वहां पांच हजार छात्र शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे, तो इसकी अनुमति की जरूरत क्यों होनी चाहिए?” उन्होंने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर झूठे एफआईआर और बल प्रयोग गलत है।

प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि वे शुरू में छात्रों के प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, लेकिन पुलिस की कार्रवाई और एक छात्र की आत्महत्या के बाद उन्होंने इसमें हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया। उन्होंने दावा किया कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और किसी को उकसाने का उनका उद्देश्य नहीं था।

प्रशासन और विवाद
प्रशासन का कहना है कि प्रशांत किशोर ने आयोजन के लिए अनुमति नहीं ली थी। गांधी मैदान में इकट्ठा होने और फिर सीएम आवास की ओर बढ़ने की कोशिश के दौरान बैरिकेडिंग तोड़ने से स्थिति बिगड़ गई। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग किया।

छात्रों का प्रदर्शन और मांगें
छात्र बीपीएससी री-एग्जाम की मांग को लेकर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होनी चाहिए। प्रशांत किशोर ने छात्रों के आंदोलन को समर्थन देकर इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया है।

नतीजा और राजनीति
इस घटना ने बिहार में राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। प्रशांत किशोर ने जहां इसे सरकार की नाकामी बताया, वहीं प्रशासन ने इसे अनुशासनहीनता करार दिया। यह विवाद आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है।