New Delhi: भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों के विशेषज्ञ और सीएसआईएस में भारत और उभरते एशिया अर्थशास्त्र के अध्यक्ष रिचर्ड रोसो ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन की हालिया दबाव नीति का भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ता। यह प्रतिक्रिया व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत को रूस के साथ नहीं, बल्कि अमेरिका के साथ खड़ा होना चाहिए।”

रोसो का मानना है कि अमेरिका-भारत संबंधों के समर्थक रूस पर भारत की निर्भरता में कमी चाहते हैं, लेकिन केवल भारत पर केंद्रित दबाव की रणनीति का कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता। हाल ही में नवारो ने भारत पर यूक्रेन युद्ध से “लाभ कमाने” का आरोप लगाया था, जिसका भारत ने कड़े शब्दों में खंडन किया। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि “सच्चाई बिल्कुल अलग है।”

रोसो ने यह भी कहा कि नवारो के विचार राष्ट्रपति ट्रंप से अलग नहीं हैं, क्योंकि वे लंबे समय से उनके करीबी रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के साथ हुई मुलाकात को महज “बैठक मंच” बताया, जबकि टोक्यो यात्रा को कहीं अधिक महत्वपूर्ण करार दिया।

भारत-चीन संबंधों पर रोसो ने तनाव कम करने की कोशिशों का स्वागत किया, लेकिन हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों को देखते हुए सहयोग की सीमित संभावनाओं की ओर इशारा किया। साथ ही उन्होंने अमेरिकी सांसदों की चुप्पी पर भी टिप्पणी की, यह बताते हुए कि रिपब्लिकन ट्रंप की नीति से चिंतित हैं, जबकि डेमोक्रेट्स घरेलू मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।