
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेकर महान कृषि वैज्ञानिक को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन केवल हरित क्रांति के जनक नहीं थे, बल्कि उन्होंने विज्ञान को जमीन से जोड़ते हुए किसानों के जीवन को बेहतर बनाने में बड़ा योगदान दिया। उन्होंने अपने शोध से किसानों को आधुनिक खेती के तरीकों के लिए प्रेरित किया और यह समझाया कि विज्ञान का असली उद्देश्य खोज से ज़्यादा, आम लोगों तक समाधान पहुंचाना है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि डॉ. स्वामीनाथन का दृष्टिकोण केवल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं था, बल्कि वे जैव विविधता और बायो-हैप्पीनेस जैसे विचारों के माध्यम से गांवों और स्थानीय समुदायों में खुशहाली लाना चाहते थे। उनका मानना था कि खेती और पर्यावरण साथ मिलकर चलें, तभी ग्रामीण भारत सशक्त होगा।
इस अवसर पर एम.एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस की घोषणा भी की गई, जिसका पहला सम्मान नाइजीरिया के एक प्रोफेसर को मिला — यह पुरस्कार दुनिया के उन वैज्ञानिकों को दिया जाएगा जो खाद्य सुरक्षा और शांति के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत के कृषि क्षेत्र की प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत आज गेहूं, चावल, कपास, सब्जियों और मछली उत्पादन में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है। ये सब हमारे मेहनती किसानों और सरकार की किसान-केंद्रित नीतियों का परिणाम है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश के किसानों, मछुआरों और पशुपालकों का हित सर्वोपरि है और इस दिशा में कोई भी त्याग करना पड़े तो वे तैयार हैं।
पीएम मोदी ने बताया कि पीएम किसान सम्मान निधि ने छोटे किसानों को सीधी आर्थिक सहायता देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है, जबकि फसल बीमा योजना ने उन्हें जोखिम से बचाया। उन्होंने नई योजनाओं की भी जानकारी दी जैसे कि पीएम धन-धान्य योजना, जो पिछड़े जिलों में खेती को मजबूती देने के लिए शुरू की गई है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि देश में 10,000 एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) बनाए गए हैं, जिससे छोटे किसानों की संगठित ताकत बढ़ी है। ई-नाम पोर्टल ने किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने में मदद की है। सिंचाई, मिट्टी परीक्षण, और जलवायु-प्रतिरोधी फसलों पर हो रहे काम का भी उन्होंने ज़िक्र किया और कहा कि बदलते मौसम की चुनौतियों के लिए विज्ञान और नीति दोनों का मिलकर काम करना जरूरी है।
प्रधानमंत्री का यह संबोधन न केवल कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन के प्रति श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि यह देश के किसानों के लिए एक भरोसे की बात भी थी कि सरकार उनके साथ है — उनके बेहतर भविष्य के लिए पूरी तरह समर्पित है।