New Delhi: एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) ने मंगलवार को विज्ञान भवन में चार दिवसीय एशिया-प्रशांत दुर्घटना जांच समूह (APAC-AIG) की 13वीं बैठक और कार्यशाला का शुभारंभ किया। यह पहली बार है जब भारत इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी कर रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर कुमार सिन्हा ने किया। इस बैठक में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लगभग 90 प्रतिनिधि, आईसीएओ (अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से शामिल हुए।

एएआईबी के महानिदेशक जीवीजी युगंधर ने स्वागत भाषण में भारत की आईसीएओ सुरक्षा पहलों में सक्रिय भागीदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने “नियंत्रित उड़ान से भू-भाग (CFIT) दुर्घटनाओं की रोकथाम” पर भारत द्वारा प्रस्तुत सूचना पत्र, सुरक्षा अनुशंसाओं के समय पर कार्यान्वयन और सिंगापुर एयरलाइंस की क्लियर एयर टर्बुलेंस जांच में भारत की भागीदारी का उल्लेख किया।

युगंधर ने जांचकर्ताओं से गहन जांच और व्यावहारिक सुझावों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर दुर्घटनाओं में कमी लाने का आह्वान किया। उन्होंने सदस्य देशों को दोष जांच के लिए भारत की विमानन प्रयोगशाला सुविधाओं का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया। विदेशी प्रतिनिधियों को भारत की सांस्कृतिक विरासत और योग परंपरा का अनुभव करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। उन्हें ‘वाई-ब्रेक’ पुस्तक और आयुष मंत्रालय का ‘रेज वेलनेस’ ऐप भेंट किया गया, साथ ही 29 अक्टूबर को अक्षरधाम मंदिर भ्रमण का आयोजन भी होगा।

आईसीएओ एपीएसी-एआईजी के अध्यक्ष स्टुअर्ट गोडले और सचिव अनम ने कहा कि यह बैठक दुर्घटना जांच अधिकारियों के बीच ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी तथा क्षेत्रीय सहयोग को सशक्त करेगी।

सचिव समीर कुमार सिन्हा ने बताया कि भारत ने आईसीएओ अनुलग्नक 13 के मानकों को अपनाते हुए विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 लागू किए हैं। उन्होंने डीजीसीए और एएआईबी के आईसीएओ ऑडिट में उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापू राममोहन नायडू के संदेश में कहा गया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र सहयोग और नवाचार के माध्यम से सुरक्षा निगरानी और दुर्घटना निवारण में नए मानक स्थापित कर रहा है।