नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 से स्वच्छ, टिकाऊ और कम उत्सर्जन वाली ऊर्जा व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

नीति में शोध, स्किल डेवलपमेंट और इनोवेशन के ज़रिए बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे।

सिंगल विंडो क्लियरेंस, टैक्स में छूट, जमीन की प्राथमिकता और 23 गीगावाट तक निश्चित बाजार जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

Patna/New Delhi: बिहार ने नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 को मंजूरी दे दी है, जिससे राज्य में स्वच्छ ऊर्जा, निवेश और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। इस नीति का मकसद है कि बिहार को देश के हरित विकास में अग्रणी बनाया जाए। नीतीश कुमार सरकार की यह नई नीति साफ-सुथरी और टिकाऊ ऊर्जा को बढ़ावा देने की एक बड़ी योजना है। इसका लक्ष्य है नवीकरणीय ऊर्जा को तेजी से अपनाना, बड़ी मात्रा में निवेश लाना और भारत के 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य में योगदान देना।

इस नीति में ग्रीन इनोवेशन, रोजगार और तकनीकी विकास को केंद्र में रखा गया है। इसमें शोध, स्किल डेवलपमेंट और स्थिरता पर खास ध्यान दिया गया है। नीति के तहत बिहार 2030 तक 23 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की व्यवस्था करेगा और निवेशकों को भरोसेमंद और स्थिर बाज़ार प्रदान करेगा।

बिहार सरकार के ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने इसे देश की सबसे प्रगतिशील नीति बताया। उनके अनुसार, यह नीति बिहार को न सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आगे ले जाएगी, बल्कि निवेश के नए मौके और रोजगार के रास्ते भी खोलेगी। अब जब इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (IST) की निःशुल्क सुविधा खत्म हो रही है, तो यह निवेशकों के लिए सही समय है कि वे आगे आएं और इस बदलाव का हिस्सा बनें।

इस नीति के जरिए राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए एक मजबूत और सक्षम व्यवस्था बनाई जाएगी। यह नीति नई तकनीकों को बढ़ावा देगी, खासकर बिजली उत्पादन और स्टोरेज में। साथ ही, शोध और नवाचार के लिए विशेष सुविधाएं विकसित की जाएंगी ताकि राज्य में निरंतर प्रगति हो सके।

सरकार इस नीति के ज़रिए नवीकरणीय ऊर्जा को सामाजिक और आर्थिक बदलाव का ज़रिया मानती है। इसका उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस क्षेत्र से जोड़ा जाए, युवाओं को कौशल मिले और आम जनता में स्वच्छ ऊर्जा की समझ बढ़े। नीति बिहार को पूर्वी भारत का नवीकरणीय ऊर्जा हब बनाने की दिशा में काम करेगी।

नीति के तहत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई प्रोत्साहन दिए गए हैं। इसमें सिंगल विंडो क्लियरेंस, एसजीएसटी की वापसी, भूमि रूपांतरण और स्टांप शुल्क की 100% छूट शामिल है। डेवलपर्स को 15 साल तक बिजली शुल्क से छूट, 25 साल तक ओपन एक्सेस और ट्रांसमिशन-व्हीलिंग चार्ज में राहत मिलेगी। साथ ही, 10 किलोमीटर तक ट्रांसमिशन नेटवर्क की लागत सरकार खुद उठाएगी।

परियोजनाओं को “मस्ट रन” का दर्जा मिलेगा यानी इन्हें हर हाल में चलाया जाएगा। साथ ही, अलग-अलग तकनीकों के हिसाब से टैरिफ तय किए जाएंगे और भुगतान की गारंटी भी दी जाएगी। डेवलपर्स को प्राथमिकता के आधार पर ज़मीन दी जाएगी, उन्हें उद्योग का दर्जा मिलेगा और वे कार्बन क्रेडिट का लाभ भी उठा सकेंगे। नीति का कम से कम 5% बजट शोध और नवाचार के लिए रखा गया है।

सबसे खास बात यह है कि बिहार में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पहले से ही एक तय और स्थायी बाज़ार है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, बिहार को 2029-30 तक 23 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा खरीदनी होगी, जिससे डेवलपर्स को स्थायित्व और सुरक्षा का पूरा भरोसा मिलेगा।

यह नीति सिर्फ एक कागज का दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह बिहार की हरित विकास की दिशा में गंभीर सोच और मज़बूत इरादों का प्रमाण है। यह एक खुला न्योता है कि उद्योग जगत आगे आए और बिहार की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में साझेदार बने।