
New Delhi:अमेरिका, जो खुद को लंबे समय से दुनिया का चौधरी मानता है, अब नए वर्ल्ड ऑर्डर के उभरते संकेतों से बेचैनी महसूस कर रहा है। वैश्विक नेतृत्व पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में वह ब्रिक्स देशों के खिलाफ खुली मुहिम चला रहा है। इसका सबसे ताज़ा उदाहरण भारत और ब्राजील पर लगाया गया 50% टैरिफ है, जिसे अमेरिका एक दबाव के औजार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन बदलते हालात में भारत, रूस, चीन और ब्राजील की रणनीतिक नजदीकियां न केवल इस दबाव को बेअसर कर रही हैं, बल्कि अमेरिका के लिए नए भू-राजनीतिक सिरदर्द भी पैदा कर रही हैं।
अमेरिका सुपरपावर के नाते वर्ल्ड ऑर्डर तय करने और दुनिया को अपने इशारों पर चलाने का आदी रहा है। इसी मानसिकता के तहत उसने भारत समेत ब्रिक्स देशों को टैरिफ बम की धमकी देकर डराने की कोशिश की, लेकिन यह अंदाज़ा नहीं लगाया कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। नया भारत न केवल स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता रखता है, बल्कि वैश्विक व्यवस्था को दिशा देने की ताकत भी हासिल कर चुका है। यही वजह है कि ट्रंप के 50% टैरिफ प्रस्ताव के सामने भी भारत मजबूती से डटा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संदेश दिया है कि किसानों के हितों पर कोई समझौता नहीं होगा और अमेरिका के दबाव का जवाब बहुआयामी रणनीति से दिया जाएगा।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि भारत टैरिफ पर झुकता नहीं है, तो ट्रंप को पीछे हटना पड़ सकता है, क्योंकि इस कदम से अमेरिका को भी बड़ा आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। साथ ही, यह टैरिफ कदम भारत, रूस और चीन को और करीब ला रहा है, जिससे वर्ल्ड ऑर्डर में बड़ा बदलाव संभव है। रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय मंच को सक्रिय करने की चर्चाएं तेज हैं। इसी क्रम में पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला से बातचीत की, एनएसए अजीत डोभाल रूस जाकर राष्ट्रपति पुतिन से मिले और रक्षा मुद्दों जैसे S-400 और SU-57 पर चर्चा हुई। इसके अलावा, पीएम मोदी के संभावित चीन दौरे ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन भी टैरिफ मसले पर भारत के साथ खड़ा है और उसने अमेरिका के रवैये को ‘बदमाश’ तक कह दिया है।
ब्राजील, जिस पर भी अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाया है, भारत के साथ इस टैरिफ जंग में उतर आया है। अमेरिका भारत पर रूस से तेल खरीद बंद करने और F-35 विमान खरीदने का दबाव भी डाल रहा है, लेकिन भारत अपने रणनीतिक फैसलों पर अडिग है।
इन घटनाक्रमों से साफ है कि ब्रिक्स की एकजुटता अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रही है। ट्रंप को डर है कि ब्रिक्स अपना साझा मुद्रा बनाकर डॉलर की बादशाहत खत्म कर देगा और अमेरिका की चौधराहट को चुनौती देगा। यही कारण है कि टैरिफ के जरिए वह भारत को ब्रिक्स से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा समीकरण बताते हैं कि यह दांव उल्टा पड़ रहा है और भारत, चीन, रूस व ब्राजील की नजदीकियां अमेरिका की चिंता और बढ़ा रही हैं।
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