जहां भीड़ होगी, वहां भगदड़ का खतरा हमेशा बना रहेगा। भारत जैसे देश में, जहां धार्मिक आयोजन, त्योहार और मेले लाखों लोगों को आकर्षित करते हैं, भीड़ नियंत्रण एक गंभीर और जटिल चुनौती है। कुंभ मेला, गणपति विसर्जन, दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक कार्यक्रम हों या बड़े राजनीतिक आयोजन — हर बार प्रशासन के सामने भीड़ प्रबंधन एक कठिन परीक्षा बनकर खड़ा होता है।

हाल ही में तिरुपति मंदिर वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई थी और मौनी आमावस्या के दौरान महाकुंभ में भी इससे अछूता नहीं रहा। भगदड़ की स्थितियां अफवाह, अत्यधिक भीड़, प्रवेश और निकास की अव्यवस्था, प्राकृतिक आपदा और प्रशासनिक लापरवाही जैसी वजहों से उत्पन्न हो सकती हैं। इन घटनाओं के परिणाम अक्सर दुखद होते हैं, जिनमें लोगों की जान जाने से लेकर गंभीर चोटों तक की घटनाएं शामिल हैं।

भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशासन को मजबूत सुरक्षा व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, ग्रीन कॉरिडोर और प्रभावी सूचना तंत्र जैसे कदम उठाने चाहिए। वहीं जनता को संयम बनाए रखते हुए अफवाहों से बचने और एक-दूसरे की मदद करने का प्रयास करना चाहिए। टेक्नोलॉजी का उपयोग और जनजागरूकता समय की मांग है ताकि भीड़ प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। उचित प्रबंधन और प्रशासनिक सतर्कता से भगदड़ की घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।

जन सामान्य को भी ऐसी भीड़ वाली जगहों पर धैर्य पूर्वक कार्य करना चाहिए तथा अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हालांकि ऐसे समय में इंसान बचाने को लेकर सजगता के कारण ऐसी अफवाहों का हिस्सा बन जाता है। अब धीरे-धीरे धार्मिक अनुष्ठानों में भीड़ बढ़ती जा रही है और प्रशासन को और अधिक अलर्ट रहना होगा तथा इसके साथ ही जन सामान्य को भी ऐसे जगहों पर पूरी जानकारी के साथ जाना चाहिए।

( लेखक के अपने विचार हैं )