नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बुधवार को हरियाणा और पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने पराली जलाने से हो रहे वायु प्रदूषण पर कड़ा रुख अपनाते हुए दोनों राज्यों को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, जिससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए जा रहे हैं। अदालत ने कहा, “हर साल हम इस मुद्दे पर एक जैसी बातें सुनते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस बदलाव नहीं दिखता। आखिर कब तक लोग इस खतरनाक स्थिति का सामना करेंगे?”

अदालत ने हरियाणा और पंजाब सरकार से जवाब तलब करते हुए कहा कि वे प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर इन राज्यों ने प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कारगर उपाय नहीं किए, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अदालत ने 1986 के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 15 के तहत पर्यावरण मुआवजे के संदर्भ में कहा कि केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि मुआवजे की राशि पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय द्वारा बनाए गए नियमों के आधार पर तय की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जुर्माना राशि पर पुनर्विचार करे और इसे और प्रभावी बनाने के उपायों पर ध्यान दे। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कानून और सख्त मुआवजे की आवश्यकता है ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके और राज्यों को जिम्मेदारी से काम करने के लिए प्रेरित किया जा सके।

दिल्ली-NCR में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच जाता है, जिसका प्रमुख कारण पराली जलाना माना जाता है।