
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बेहद अहम है, क्योंकि इसके नतीजे कई सियासी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और सपा के पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद के अयोध्या से सांसद बनने के कारण खाली हुई है। भाजपा और सपा, दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है।
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या जिले में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए इस सीट को जीतना चाहती है, जबकि सपा हालिया उपचुनावों में मिली हार के झटके से उबरने की कोशिश कर रही है। सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है, जिससे पार्टी की साख दांव पर लग गई है। वहीं, भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य वरिष्ठ नेताओं के दौरे और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए सामाजिक समीकरण साधने की पूरी तैयारी की है।
इस सीट पर 3.50 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 1.30 लाख दलित, 55 हजार यादव, 30 हजार मुस्लिम, और अन्य जातीय समूह शामिल हैं। सपा अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले पर भरोसा कर रही है, जबकि भाजपा जातीय समीकरणों और योजनाओं के बल पर इसे जीतने का प्रयास कर रही है।
इस उपचुनाव का नतीजा न केवल क्षेत्रीय, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।