
नोएडा के किसान आज दिल्ली की ओर कूच कर गए, जिससे चिल्ला बॉर्डर पर तनावपूर्ण स्थिति बन गई। पुलिस द्वारा दलित प्रेरणा स्थल पर लगाए गए बैरिकेड्स को किसानों ने तोड़ दिया, जिसके बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच सड़क को ब्लॉक कर दिया गया। भारी पुलिस बल और आरएएफ की तैनाती के बावजूद किसान प्रदर्शन जारी है।
मार्च की वजह से सुबह से ही चिल्ला बॉर्डर पर लंबा ट्रैफिक जाम देखा गया। पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों से मेट्रो का अधिक उपयोग करने की अपील की है।
किसानों की मांग और दिल्ली कूच का उद्देश्य
भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) के नेता सुखबीर खलीफा ने कहा कि यह मार्च नए कृषि कानूनों के तहत उचित मुआवजे और बेहतर लाभ की मांग को लेकर किया जा रहा है। रविवार को उन्होंने कहा, “हम नोएडा में महामाया फ्लाईओवर से मार्च शुरू करेंगे और दोपहर तक दिल्ली पहुंचने की कोशिश करेंगे।”
दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस का पहरा
दिल्ली पुलिस और आरएएफ ने दिल्ली-यूपी की सभी सीमाओं पर सख्त निगरानी की है। डीसीपी पूर्वी दिल्ली, अपूर्व गुप्ता ने कहा कि संसद सत्र के चलते किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि ट्रैफिक और कानून-व्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा।
6 दिसंबर को अन्य किसान संगठन करेंगे प्रदर्शन
बीकेपी का यह प्रदर्शन किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रदर्शन से अलग है। ये संगठन 6 दिसंबर से दिल्ली और संबंधित विधानसभाओं की ओर प्रतीकात्मक मार्च निकालेंगे। इसमें केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु के किसान भी शामिल होंगे।
किसानों के इस आंदोलन ने एक बार फिर कृषि कानूनों और मुआवजे से जुड़े मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बना दिया है।