
यह घटना वास्तव में काफी रोचक और मज़ेदार थी। जब गोरखपुर के सांसद और अभिनेता रवि किशन ने लोकसभा में भोजपुरी में बोलना शुरू किया, तो वहां का माहौल हल्का-फुल्का हो गया। रवि किशन ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी का इस्तेमाल कर अपनी बात रखी, और यह सुनकर स्पीकर जगदंबिका पाल भी भोजपुरी में जवाब देने लगे।
उनके बीच हुई यह बातचीत इतनी सहज और मनोरंजक थी कि संसद में मौजूद अन्य सांसद भी हंसने लगे। इस तरह की घटनाएं न केवल भाषा के प्रति सम्मान दिखाती हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित करती हैं कि लोकसभा जैसे गंभीर मंच पर भी हंसी-खुशी का माहौल बन सकता है।
यह दृश्य उन लोगों के लिए भी खास संदेश देता है जो क्षेत्रीय भाषाओं को राष्ट्रीय मंच पर कम महत्व देते हैं। रवि किशन और स्पीकर की यह बातचीत दर्शाती है कि हमारी क्षेत्रीय भाषाओं में भी गहरी आत्मीयता और सांस्कृतिक विरासत झलकती है।