बिहार के मोकामा स्थित पंचमहला थाना क्षेत्र के नौरंगा-जलालपुर में बुधवार को दिनदहाड़े हुई गोलीबारी का वीडियो सामने आया है। इस घटना के बाद पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू सिंह ने मीडिया के सामने अपना-अपना पक्ष रखा है। सोनू सिंह की मां, जो नौरंगा-जलालपुर पंचायत की मुखिया हैं, ने पूर्व विधायक अनंत सिंह समेत अन्य के खिलाफ पंचमहला थाना में गंभीर आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई है, जिसमें अनंत सिंह पर गोली चलाने का आरोप लगाया गया है।

पूर्व विधायक अनंत सिंह का कहना है कि वे मुकेश सिंह नाम के व्यक्ति के घर पर ताला लगाए जाने को लेकर बातचीत करने पंचायत गए थे, लेकिन बातचीत शुरू होने से पहले ही सोनू और मोनू ने फायरिंग शुरू कर दी। बचाव में भी गोली चली, जिसमें उनके एक समर्थक को गर्दन में गोली लग गई। वहीं, सोनू सिंह का कहना है कि वे और उनके भाई मोनू खेत में फसल की सिंचाई कर रहे थे और गोलीबारी में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

घटना के बाद दोनों पक्ष खुद को घटनास्थल से दूर बता रहे हैं। अनंत सिंह का आरोप है कि सोनू और मोनू ने उनके लोगों पर गोलीबारी की, जबकि सोनू सिंह का कहना है कि वे सिंचाई कर रहे थे और फायरिंग में शामिल नहीं थे। दोनों गुटों द्वारा प्रतिबंधित हथियारों से फायरिंग करने का दावा भी किया जा रहा है।

पुलिस ने घटनास्थल से तीन खोखे बरामद किए हैं, लेकिन किसी के घायल होने की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस के अनुसार, अनंत सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है, लेकिन उनकी ओर से कोई आवेदन अब तक नहीं दिया गया है। बरामद खोखों की जांच की जा रही है, और यदि यह प्रतिबंधित हथियारों के निकले, तो मामला एनआईए तक भी जा सकता है।

यह पहली बार नहीं है जब अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी हो। 2017 में कुख्यात मोनू सिंह ने अनंत सिंह की हत्या के लिए 6 लाख रुपये में एके-47 खरीदी थी। 2018 में हत्या की साजिश रची गई, लेकिन पुलिस ने मोनू और उसके साथी निलेश को गिरफ्तार कर लिया। अनंत सिंह को मारने के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी भी दी गई थी।

सोनू कुमार और मोनू कुमार कुख्यात अपराधी हैं और दोनों मिलकर एक संगठित गिरोह चलाते हैं। इन पर हत्या, लूट और रंगदारी समेत कई संगीन मामले दर्ज हैं। इनका नेटवर्क बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली तक फैला हुआ है। इनका संबंध यूपी के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी से भी बताया जाता है।

2022 में अनंत सिंह के घर से AK-47, हैंड ग्रेनेड और 27 गोलियां बरामद हुई थीं, जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा। रिहाई के बाद मोनू सिंह उनसे मिलने पहुंचा था, और ऐसा लगा कि दोनों के बीच सुलह हो गई है, लेकिन इसके बाद एक बार फिर वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई, जिसका नतीजा यह गोलीकांड बनकर सामने आया।

पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और गोलीबारी में इस्तेमाल हथियारों का परीक्षण किया जा रहा है। यदि प्रतिबंधित हथियारों के खोखे बरामद होते हैं, तो मामला और गंभीर हो सकता है। जल्द ही पुलिस की रिपोर्ट से यह साफ हो जाएगा कि गोलीबारी किसने की थी और इसके पीछे कौन जिम्मेदार है।

स्रोत: विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से