
बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में भूमि सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली में संशोधन को मंजूरी दी गई। इसके तहत रैयतों (जमीन मालिकों) को जरूरी दस्तावेज जमा करने और दावे-आपत्तियों के लिए अधिक समय प्रदान किया गया है।
संशोधित नियमों के अनुसार, रैयतों को अब दस्तावेज जमा करने के लिए 180 कार्य दिवस यानी 6 महीने का समय मिलेगा। नक्शा सत्यापन के लिए 90 दिन, आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 60 दिन और आपत्तियों के निराकरण के लिए भी 60 दिन का समय निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त, अधिकार दस्तावेजों के अंतिम प्रकाशन के बाद दावे करने की समय सीमा 90 दिन तक बढ़ा दी गई है।
मंत्रिमंडल सचिवालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम 2011 (संशोधित 2013 एवं 2017) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खतियान और नक्शा तैयार करने का कार्य किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली 2024 को स्वीकृति दी गई है।
बिहार सरकार के इस फैसले से भूमि मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी, जो दस्तावेजों और आपत्तियों से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे थे। राज्य में विशेष भूमि सर्वेक्षण का पहला चरण ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्रित है। सरकार का यह कदम प्रक्रिया को सुचारू और निष्पक्ष बनाने के साथ-साथ रैयतों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।