चुनाव आयोग ने देशभर के मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने का निर्णय लिया है। इसके लिए चुनाव आयोग और यूआईडीएआई के तकनीकी विशेषज्ञ मिलकर काम करेंगे। फिलहाल आयोग के पास 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के आधार उपलब्ध हैं, जिन्हें जल्द ईपिक से जोड़ा जाएगा।

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्रों में गड़बड़ी के आरोपों से निपटने के लिए देशभर के मतदाता पहचान पत्र (ईपिक) को आधार से जोड़ने का अहम निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने के लिए चुनाव आयोग और आधार तैयार करने वाली संस्था, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के तकनीकी विशेषज्ञ मिलकर काम करेंगे।

फिलहाल आयोग के पास 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के आधार स्वैच्छिक रूप से उपलब्ध हैं, जिन्हें ईपिक से जोड़ने की योजना बनाई गई है। इस निर्णय को लेने से पहले केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ के साथ लंबी चर्चा की गई। बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. एसएस संधू और डॉ. विवेक जोशी मौजूद थे। चर्चा के दौरान इस पहल के कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।

सूत्रों के अनुसार, आयोग ने इस प्रक्रिया के लिए तैयार किए गए विशेष एप्लिकेशन के बारे में भी जानकारी दी। यह एप्लिकेशन मतदाताओं का डेटा सुरक्षित रखते हुए केवल उनकी पहचान प्रमाणित करेगा और फर्जी व डुप्लिकेट मतदाताओं को उजागर करेगा। आधार से ईपिक जोड़ने से मतदाताओं को भी लाभ होगा, क्योंकि मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग अपने आधार में पता बदलवा लेते हैं, लेकिन ईपिक में बदलाव नहीं करते। आधार से लिंक होने के बाद मतदाता पहचान पत्र में बदलाव की प्रक्रिया सरल हो जाएगी।

इस फैसले के दौरान लोक प्रतिनिधित्व कानून के अनुच्छेद 326 का भी हवाला दिया गया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही मिल सकता है। इसे प्रमाणित करने के लिए आधार जोड़ना जरूरी है। साथ ही, संविधान से जुड़ी धारा 23(4), (5) और (6) के कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले को मद्देनजर रखते हुए इस प्रक्रिया को अपनाने का निर्णय लिया गया।

आधार-ईपिक लिंकिंग के लाभ:

  • मतदाता सूची में गड़बड़ियां खत्म होंगी।
  • एक प्रमाणित और पारदर्शी मतदाता सूची बनेगी।
  • फर्जी नामों को हटाने में मदद मिलेगी।
  • राजनीतिक दलों की शिकायतें कम होंगी।
  • कोई भी व्यक्ति दो जगहों से मतदाता सूची में दर्ज नहीं हो सकेगा।

देश में वर्तमान में 99 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिनमें से 66 करोड़ के आधार आयोग के पास उपलब्ध हैं। हालांकि, अभी तक इन्हें ईपिक से लिंक नहीं किया गया है। ऐसे में आयोग को शेष 33 करोड़ मतदाताओं के आधार जुटाने की चुनौती रहेगी, जिसे जल्द ही पूरा करने की योजना है। उल्लेखनीय है कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया 2015 में ट्रायल के तौर पर शुरू की गई थी।