
Maldives: कभी भारत को आंख दिखाने वाला मालदीव अब ‘इंडिया इन’ की राह पर लौटता दिख रहा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने चीन के बहकावे में आकर भारत से रिश्तों में तल्खी पैदा की थी, अब पूरी तरह से अपने रुख में बदलाव लाते नजर आ रहे हैं। भारत-विरोधी तेवर अब बीते कल की बात लगते हैं। यही वजह है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मालदीव पहुंचे, तो खुद राष्ट्रपति मुइज्जू उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पर पहले से मौजूद थे।
ब्रिटेन यात्रा के बाद पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे पर मालदीव पहुंचे हैं। जैसे ही पीएम मोदी माले एयरपोर्ट पर अपने विशेष विमान से उतरे, राष्ट्रपति मुइज्जू ने आगे बढ़कर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। पीएम मोदी ने भी उसी आत्मीयता से मुइज्जू को गले लगाकर यह संदेश दिया कि भारत पुराने दोस्तों को भुलाता नहीं। यह क्षण प्रतीक बन गया – तल्ख रिश्तों के बाद एक नई शुरुआत का।
यह दौरा खास इसलिए भी है क्योंकि मालदीव ने अपने 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। माले में आयोजित इस ऐतिहासिक समारोह में हिस्सा लेने पीएम मोदी पहुंचे हैं।
राष्ट्रपति मुइज्जू न केवल स्वागत के लिए मौजूद रहे, बल्कि हर पल प्रधानमंत्री के साथ साए की तरह साथ दिखे। एयरपोर्ट से लेकर अन्य कार्यक्रमों तक, मालदीव सरकार की पूरी टीम—रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री—प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में जुटी रही।
भारतीय प्रवासी समुदाय भी अपने चहेते नेता की एक झलक पाने को बेताब दिखा। पारंपरिक नृत्य, ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से मालदीव का आसमान गूंज उठा। यही नहीं, मुइज्जू खुद इन पलों में पीएम मोदी के साथ खड़े नजर आए, जैसे अब वह ‘इंडिया आउट’ की पुरानी कहानी को मिटाना चाहते हों।
दरअसल, यह वही मालदीव है जहां कुछ महीने पहले तक भारत विरोधी अभियान चलाए जा रहे थे। लेकिन अब देश की सरकार को यह एहसास हो चुका है कि भारत की मित्रता कितनी मूल्यवान है—विशेषकर क्षेत्रीय स्थिरता, विकास और सामरिक संतुलन के लिहाज़ से।
पीएम मोदी की यह यात्रा सिर्फ आमंत्रण पर आधारित औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि इससे दोनों देशों के रिश्तों में नया विश्वास पैदा हो रहा है। प्रधानमंत्री मालदीव के साथ कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और आपसी सहयोग को नई दिशा देंगे। यह दौरा भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति को भी मजबूत करता है और हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक भूमिका को और सशक्त बनाता है।
मालदीव अब उस दिशा में बढ़ता दिख रहा है, जहां पुराने विवादों को पीछे छोड़कर भविष्य की साझेदारी पर ज़ोर है—और भारत, हमेशा की तरह, अपने दोस्त को गले लगाने को तैयार है।