नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्ते और अधिक बिगड़ गए हैं। भारत ने इस हमले को सीधे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का परिणाम बताते हुए सख्त जवाबी कार्रवाई की है।

भारत सरकार ने सबसे पहले 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की। यह संधि दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का एक महत्वपूर्ण समझौता था, जिसे भारत ने दशकों से निभाया था। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों और सलाहकारों को देश छोड़ने का आदेश दिया और पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग और भारत स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में स्टाफ की संख्या घटा दी है।

जवाब में पाकिस्तान ने भी 1972 के शिमला समझौते को निलंबित कर दिया, जो दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का आधार माना जाता रहा है। पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को भी निलंबित कर दिया है और अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया है।

इन घटनाओं के बीच भारत ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी प्रकार के वीजा रद्द कर दिए हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय 27 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा और मेडिकल वीजा की वैधता केवल 29 अप्रैल तक सीमित रहेगी। हालांकि, पाकिस्तानी हिंदू नागरिकों को दिए गए लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) इससे प्रभावित नहीं होंगे। यह स्पष्ट किया गया है कि मानवीय और धार्मिक आधारों पर भारत में शरण लेने वाले पाकिस्तानी हिंदुओं का स्वागत जारी रहेगा।

इसके साथ ही भारत सरकार ने अपने नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा से बचने की सलाह दी है और जो भारतीय नागरिक इस समय पाकिस्तान में हैं, उन्हें जल्द से जल्द देश लौटने का निर्देश दिया गया है। अटारी-वाघा बॉर्डर चेक पोस्ट को भी अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन और चीन ने इस हमले की निंदा करते हुए दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। लेकिन कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इन प्रमुख समझौतों के निलंबन से द्विपक्षीय संवाद के स्थापित रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे दक्षिण एशिया में अस्थिरता और तनाव की आशंका और बढ़ गई है। भारत के इन निर्णयों से यह स्पष्ट हो गया है कि अब वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी सख्त कदम से पीछे नहीं हटेगा।