राष्ट्रीय: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और संयमित सैन्य कार्रवाई की। भारतीय सेना ने मंगलवार देर रात हुए इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के 9 अड्डों को निशाना बनाया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह कार्रवाई बेहद योजनाबद्ध, सीमित और गैर-उकसावे वाली (non-escalatory) थी, जिसमें किसी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को लक्ष्य नहीं बनाया गया।

ऑपरेशन के दौरान कोटली, मुरीदके और बहावलपुर समेत कई ठिकानों पर हमले किए गए। हमलों के सफल संचालन की पुष्टि रक्षा मंत्री ने की और इसे 2019 के बालाकोट हमले के बाद सबसे बड़ी कार्रवाई बताया। बुधवार सुबह 10 बजे भारतीय सेना इस ऑपरेशन पर आधिकारिक ब्रीफिंग देगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन पर खुद नजर रखी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों तथा सैन्य कमांडरों से लगातार संपर्क में रहे। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस जवाबी कार्रवाई में कोई नागरिक या पाकिस्तानी सैन्य ढांचा प्रभावित नहीं हुआ।

इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक समर्थन भी देखने को मिला। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “हमें अपने सुरक्षाबलों पर गर्व है। जय हिंद!” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भारतीय सेना के पराक्रम को सलाम किया और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दोहराया कि कांग्रेस आतंकवाद के खिलाफ सशस्त्र बलों और सरकार के साथ है।

इस्राइल ने भी भारत के इस कदम का खुलकर समर्थन किया। भारत में इस्राइली राजदूत रेउवेन अजार ने कहा, “इस्राइल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। आतंकवादियों को समझ लेना चाहिए कि उनके अपराधों के लिए अब दुनिया में कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा।” इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी भारत के रुख को न्यायोचित करार दिया।

इस सैन्य कार्रवाई ने न केवल भारत की कड़ी जवाबी नीति को दिखाया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत किसी भी हद तक जा सकता है। वैश्विक मंच पर इस्राइल जैसे देशों का समर्थन भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को और मजबूत करता है।