
New Delhi: लोकसभा ने बुधवार को ऑनलाइन गेमिंग के प्रोत्साहन और विनियमन विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है, जबकि पैसों से जुड़े ऑनलाइन गेम्स, उनसे जुड़ी सेवाओं, विज्ञापनों और वित्तीय लेनदेन पर पूरी तरह रोक लगाना है। विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार का मकसद वैध ऑनलाइन गेमिंग को प्रोत्साहित करते हुए समाज की सुरक्षा करना है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जब भी समाज और सरकारी राजस्व में से किसी एक को प्राथमिकता देनी होती है, प्रधानमंत्री हमेशा समाज को सर्वोपरि मानते हैं। यह विधेयक ध्वनिमत से पारित किया गया। वैष्णव ने ऑनलाइन गेमिंग को तीन हिस्सों में बांटा—ई-स्पोर्ट्स, जिसमें रणनीतिक सोच और टीम वर्क शामिल हैं; ऑनलाइन सोशल गेम्स जैसे शतरंज, सुडोकू और सॉलिटेयर, जिन्हें मनोरंजक और शिक्षाप्रद माना जाता है; और ऑनलाइन मनी गेम्स, जिन्हें उन्होंने समाज के लिए गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे खेलों ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया है और आत्महत्या तक के मामले सामने आए हैं। इनसे नशे की लत, आर्थिक नुकसान, धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद तक को बढ़ावा मिला है।
हालांकि विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि मनी गेम्स खेलने वालों पर कोई सजा नहीं होगी। कार्रवाई सिर्फ सेवा प्रदाताओं, विज्ञापनदाताओं, प्रमोटरों और वित्तीय सहयोगियों पर होगी। कानून के तहत मनी गेम्स की पेशकश या संचालन पर अधिकतम 3 साल की कैद और/या 1 करोड़ रुपये का जुर्माना, विज्ञापन नियम तोड़ने पर 2 साल की कैद और/या 50 लाख रुपये का जुर्माना और दोबारा अपराध करने पर 3 से 5 साल की कैद व 2 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। सभी प्रमुख अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
इसके अलावा केंद्र सरकार अधिकृत अधिकारियों को बिना वारंट जांच, तलाशी और गिरफ्तारी की शक्तियाँ देगी। सरकार का मानना है कि यह कानून ई-स्पोर्ट्स को वैध पहचान और प्रोत्साहन देगा, जबकि समाज को ऑनलाइन जुए और मनी गेम्स के दुष्प्रभावों से बचाएगा।