नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। पहला, केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को आधिकारिक रूप से मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह जनगणना 2025 के सितंबर से शुरू हो सकती है और इसे पूरा होने में दो वर्ष लग सकते हैं। इससे संबंधित अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में उपलब्ध होंगे। विपक्षी दल जैसे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद और बसपा लंबे समय से इसकी मांग करते रहे हैं, जबकि भाजपा पहले इसके विरोध में थी। हालांकि, बिहार में 2023 में हुई जातिगत जनगणना के प्रभाव को देखते हुए अब पार्टी ने अपना रुख बदला है। वैष्णव ने कांग्रेस पर जातिगत जनगणना का ऐतिहासिक रूप से विरोध करने और इसे केवल राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया।

दूसरा बड़ा मुद्दा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से जुड़ा रहा, जिसमें 26 हिंदू पर्यटकों की जान गई थी। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई। इसमें सेना को यह अधिकार दिया गया कि वह हमले के जवाब में समय, स्थान और तरीका खुद तय कर सके। भारत सरकार ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज कर तटस्थ जांच की मांग की है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है—भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्ला तारार ने यहां तक दावा किया है कि भारत अगले 24 से 36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है, और पाकिस्तान ने इसके लिए तैयारी पूरी कर ली है।

इन दोनों घटनाक्रमों से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार एक ओर सामाजिक न्याय की दिशा में जातिगत आंकड़ों को संगठित कर नीतिगत निर्णयों को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में कड़े और निर्णायक कदम उठा रही है।