नई दिल्ली: केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब सालाना 12 लाख रुपये तक की आय पर, पूंजीगत लाभ जैसी विशेष आय को छोड़कर, कोई आयकर नहीं देना होगा। साथ ही 75,000 रुपये की मानक कटौती के चलते 12.75 लाख रुपये तक की आमदनी वाले लोग भी कर से मुक्त रहेंगे। यह कदम खासकर वेतनभोगी वर्ग के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि मानक कटौती कर योग्य आय को स्वतः घटा देती है और कर्मचारियों को अलग-अलग छूटों के लिए दस्तावेज़ों की झंझट से मुक्ति मिलती है। सरकार ने लगभग एक लाख करोड़ रुपये के संभावित राजस्व का बलिदान देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता आम जनता की भलाई है।

इसके अलावा, आयकर रिटर्न को और अधिक सरल बनाने के लिए व्यक्तिगत करदाताओं को अब पहले से भरे हुए रिटर्न उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनमें वेतन, बैंक ब्याज और लाभांश जैसी जानकारियां पहले से शामिल रहती हैं। इस पहल का असर भी दिखाई दे रहा है—जहां वित्त वर्ष 2013-14 में मात्र 3.91 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए थे, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा 9.19 करोड़ तक पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि कर अनुपालन पहले से ज्यादा आसान और जनस्वीकार्य हो गया है।

साथ ही, 2019 में शुरू की गई फेसलेस ई-असेसमेंट प्रणाली ने कर जांच की पारंपरिक प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया है। अब करदाता और कर अधिकारियों के बीच आमने-सामने की मुलाकात की जरूरत नहीं होती, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। राष्ट्रीय ई-असेसमेंट केंद्र एकमात्र संपर्क बिंदु है, और रिटर्न की जांच पूरी तरह से स्वचालित प्रणाली के जरिए होती है। इससे करदाता को यह जानकारी भी नहीं होती कि उनका मामला किस अधिकारी के पास है, जिससे भेदभाव और भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो जाती है।

महंगाई पर नियंत्रण भी इस बजट की एक प्रमुख उपलब्धि के रूप में सामने आया है। 2004 से 2014 के बीच औसत वार्षिक मुद्रास्फीति 8.2% थी और खाने-पीने की चीजों से लेकर ईंधन तक लगातार महंगे होते जा रहे थे। इससे मध्यम वर्ग की बचत प्रभावित हुई और जीवनयापन मुश्किल हो गया। लेकिन 2014 के बाद हालात बदले—2015-16 से 2024-25 के बीच महंगाई की औसत दर घटकर सिर्फ़ 5% रह गई। यह बदलाव न सिर्फ आंकड़ों में बल्कि आम जनता की ज़िंदगी में भी महसूस किया गया। आवश्यक वस्तुएं किफायती हुईं, मासिक खर्चों की योजना बनाना आसान हुआ और लोगों का आर्थिक विश्वास मजबूत हुआ। यह सफलता केंद्र सरकार की ठोस नीतियों, रिजर्व बैंक के साथ मजबूत समन्वय और बेहतर आपूर्ति प्रबंधन का नतीजा है, जिसने मध्यम वर्ग को राहत की सांस दी।

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