प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने पर भी ध्यान केंद्रित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स केवल विभाजनकारी नहीं, बल्कि जनहितकारी संगठन है। उन्होंने वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एकजुट होकर आवाज उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। मोदी ने कहा, “हम सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के लिए सक्षम हैं,” और इसी संदर्भ में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत युद्ध नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है।

कोविड-19 का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह से विश्व ने इस महामारी से निपटने के लिए एकजुट होकर काम किया, उसी तरह हमें सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के निर्माण के लिए नए अवसर पैदा करने की दिशा में काम करना चाहिए। आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सभी देशों को मिलकर इस खतरे से निपटना चाहिए, और ऐसे गंभीर मामलों में दोहरे मानदंड नहीं अपनाए जाने चाहिए।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर यूएन में लंबित व्यापक सम्मेलन के मुद्दे को भी उठाया और साइबर सुरक्षा तथा सुरक्षित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के महत्व पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है जो समय के साथ खुद में बदलाव करने की इच्छाशक्ति रखता है।

यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) और डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) में सुधार के लिए समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अंत में उन्होंने ब्रिक्स को एक समावेशी मंच के रूप में पेश करते हुए कहा कि यह संगठन हर मुद्दे पर सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।