New Delhi: केंद्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने के उद्देश्य से “सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना” को मंजूरी दे दी है। यह योजना पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत 11 राज्यों की 11 प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) में गोदामों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके साथ ही 500 से अधिक पैक्स की पहचान की गई है, जिनमें दिसंबर 2026 तक गोदाम निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 73,492 पैक्स को मंजूरी दी गई है। अब तक 59,920 पैक्स को ईआरपी (ERP) सॉफ्टवेयर पर शामिल किया जा चुका है, जिससे उनके संचालन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।

यह जानकारी सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि यह योजना भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से लागू की जा रही है, जिनमें कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम), और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना (पीएमएफएमई) प्रमुख हैं। इन योजनाओं के माध्यम से पैक्स स्तर पर गोदाम, कस्टम हायरिंग केंद्र, प्रसंस्करण इकाइयाँ और उचित मूल्य की दुकानों जैसी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है।

इसके अलावा सरकार ने नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य पालन सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को भी मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में देश की सभी पंचायतों और गांवों को कवर करना है। इस पहल को नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी और राज्यों के सहयोग से आगे बढ़ाया जा रहा है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, योजना की शुरुआत (15 फरवरी 2023) से लेकर 30 जून 2025 तक देशभर में 22,933 नई बहुउद्देशीय सहकारी समितियाँ पंजीकृत की जा चुकी हैं, जिनमें 5,937 एम-पैक्स शामिल हैं।

पैक्स को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने ₹2925.39 करोड़ के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कम्प्यूटरीकरण परियोजना को भी स्वीकृति दी है। इस परियोजना का उद्देश्य देश के सभी कार्यात्मक पैक्स को एक साझा ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जोड़ना है और उन्हें एसटीसीबी व डीसीसीबी के माध्यम से नाबार्ड से भी जोड़ा जा रहा है। कर्नाटक राज्य से अकेले 5,628 पैक्स को इस परियोजना में शामिल किया गया है। इस तरह यह योजना सहकारिता क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रही है।