नई दिल्ली: भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कंपनी ने 5 अरब डॉलर (लगभग ₹41,000 करोड़) के ब्याज और जुर्माने को माफ करने की याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे पहले सरकार भी Vi की इस मांग को अस्वीकार कर चुकी थी।
इस निर्णय के बाद Vi के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। कंपनी पर कुल ₹83,400 करोड़ का AGR बकाया है, जिसमें ₹12,797 करोड़ मूल राशि, ₹28,294 करोड़ ब्याज, ₹6,012 करोड़ जुर्माना और ₹11,151 करोड़ जुर्माने पर ब्याज शामिल हैं। कंपनी के CEO अक्षय मूंदड़ा ने चेतावनी दी है कि यदि राहत नहीं मिली, तो Vi वित्तीय वर्ष 2025-26 के बाद अपने संचालन को जारी नहीं रख पाएगी।
वर्तमान में सरकार Vi में 49% हिस्सेदारी रखती है, जो पहले ही एक महत्वपूर्ण निवेश है। यदि सरकार और अधिक शेयर खरीदती है, तो Vi एक सरकारी कंपनी बन जाएगी। ऐसे में, सरकार दो सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को संचालित करने के बजाय, Vi का भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) में विलय कर सकती है। इससे BSNL का ग्राहक आधार बढ़ेगा और वह तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन सकती है।
यदि Vi बंद हो जाती है, तो भारतीय टेलीकॉम बाजार में केवल दो प्रमुख निजी कंपनियां जियो और एयरटेल बचेंगी। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है और ग्राहकों के विकल्प सीमित हो सकते हैं। हालांकि BSNL मौजूद है, लेकिन वह पहले ही ग्राहक बढ़ाने के अवसरों को गंवा चुका है। इसलिए, Vi के भविष्य को लेकर स्पष्टता के लिए कुछ समय इंतजार करना आवश्यक होगा।
Vi के मौजूदा ग्राहकों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि नेटवर्क सेवा और नंबर पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधाओं पर असर पड़ सकता है। कंपनी के भविष्य और सरकार की भूमिका पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा।

