नागपुर: शहर में सोमवार को औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के दौरान एक अफवाह फैल गई कि धार्मिक ग्रंथ को जला दिया गया है। इस अफवाह के बाद दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके चलते पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं। हालात काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा।

कैसे भड़की हिंसा?
संभाजी नगर में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठनों ने प्रदर्शन किया था। इसी दौरान यह अफवाह फैल गई कि ‘कलमा’ लिखा कपड़ा जलाया गया है। इस खबर से मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया और नागपुर के मध्य क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी पथराव किया, जिससे चार लोग घायल हो गए।

पुलिस को करनी पड़ी सख्त कार्रवाई
पथराव और आगजनी के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। नागपुर के पुलिस आयुक्त डॉ. रविंदर सिंघल ने बताया कि स्थिति को काबू में करने के लिए पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, जिससे चार या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लग गई है।

मुख्यमंत्री ने दिए सख्त कार्रवाई के आदेश
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर हिंसा को लेकर पुलिस को सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा,
“नागपुर में जो हुआ, वह निंदनीय है। कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर भी पत्थरबाजी की, जो पूरी तरह गलत है। मैंने पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि जो भी कानून-व्यवस्था भंग करने की कोशिश करे, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।”

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