प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिकी पॉडकास्टर लैक्स फ्रिडमैन के शो में शामिल हुए। तीन घंटे से अधिक समय तक चले इस पॉडकास्ट में उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने संबंधों पर खुलकर चर्चा की। मोदी ने ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति की सराहना की और चीन के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की वकालत की।

ट्रंप में अद्भुत साहस और विनम्रता – मोदी
पीएम मोदी ने अमेरिका में अपने अनुभव साझा करते हुए हाउडी मोदी कार्यक्रम का एक किस्सा याद किया। उन्होंने कहा, “ह्यूस्टन में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी एकत्र हुए थे। वहां राष्ट्रपति ट्रंप भी मौजूद थे। उन्होंने भाषण दिया और फिर विनम्रता दिखाते हुए दर्शकों के बीच बैठकर मेरी बात सुनी। जब मैं बोल चुका, तो मैंने सहजता से उनसे कहा – ‘अगर आपको कोई आपत्ति न हो, तो हम स्टेडियम का एक चक्कर लगा लें और वहां मौजूद लोगों का अभिवादन करें।’”

त्वरित निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं ट्रंप
मोदी ने आगे कहा, “अमेरिका में सुरक्षा के कड़े नियम होते हैं, और किसी राष्ट्रपति के लिए हजारों की भीड़ में चलना लगभग असंभव है। लेकिन ट्रंप बिना एक पल की हिचकिचाहट के सहमत हो गए और मेरे साथ चलने लगे। उनका सुरक्षा दल चौंक गया, लेकिन उनके इस कदम ने दिखाया कि वे न केवल साहसी हैं बल्कि मेरे नेतृत्व पर भी गहरा विश्वास रखते हैं। यह हमारे आपसी रिश्तों में भरोसे का संकेत था।”

गोली लगने के बावजूद अमेरिका के प्रति ट्रंप की प्रतिबद्धता
डोनाल्ड ट्रंप की दृढ़ता की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा, “जब हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप को गोली लगी, तब भी उन्होंने वही साहस और संकल्प दिखाया, जो मैंने ह्यूस्टन में उनके साथ चलते हुए देखा था। उन्होंने राष्ट्र के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। उनकी अमेरिका फर्स्ट की भावना मुझे मेरे राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत की याद दिलाती है, और शायद यही कारण है कि हम दोनों एक-दूसरे से इतना जुड़ाव महसूस करते हैं।”

भारत-चीन के ऐतिहासिक संबंध और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा
पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने संबंधों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “भारत और चीन का संबंध नया नहीं है। हमारी सभ्यताएं हजारों साल पुरानी हैं। इतिहास देखें तो दोनों देशों ने सदियों तक एक-दूसरे से सीखा और वैश्विक विकास में योगदान दिया। एक समय था जब भारत और चीन मिलकर दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 50% से अधिक हिस्सा रखते थे। हमारे बीच हमेशा सीखने और समझने का रिश्ता रहा है।”

मतभेद विवाद में न बदलें – संवाद ही समाधान
मोदी ने कहा, “हर पड़ोसी देश के बीच कभी न कभी मतभेद होते हैं, जैसे परिवारों में भी असहमति होती है। लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना है कि ये मतभेद विवाद में न बदलें। भारत संवाद को प्राथमिकता देता है, क्योंकि संवाद के माध्यम से ही स्थिर और सहयोगी संबंध बनाए जा सकते हैं।”

सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में प्रगति
हालिया सीमा विवाद पर मोदी ने कहा, “राष्ट्रपति शी के साथ मेरी हालिया बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति बहाल होते देखी है। हम 2020 से पहले की स्थिति को दोबारा स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। यह प्रक्रिया समय लेगी, लेकिन विश्वास और ऊर्जा धीरे-धीरे लौटेगी।”

उन्होंने कहा, “21वीं सदी एशिया की सदी है। इसलिए भारत और चीन को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, लेकिन यह प्रतिस्पर्धा कभी भी संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिए।”

(स्रोत: IANS)