
मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम क्षेत्र में हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। घटना के बाद शासन स्तर पर जांच शुरू हो गई है, साथ ही मेला व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए सात नए अधिकारियों की तैनाती की गई है। इन अधिकारियों में पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल, आईएएस भानुचंद्र गोस्वामी और आशुतोष द्विवेदी भी शामिल हैं।
नो-व्हीकल जोन की घोषणा, सभी पास निरस्त
भगदड़ के बाद पूरे महाकुंभ मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। पुलिस ने वीवीआईपी, मीडिया और आवश्यक सेवा के वाहनों सहित सभी पास रद्द कर दिए हैं। प्रशासन ने प्रयागराज जिले की सीमा पर कड़ी बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की आवाजाही रोक दी है। श्रद्धालुओं के वाहनों को मेला क्षेत्र से 20 किलोमीटर दूर ही रोक दिया जा रहा है, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
व्यवस्था में बड़े बदलाव
मंगलवार रात की भगदड़ के बाद महाकुंभ मेला प्राधिकरण ने दावा किया कि इस हादसे में 30 लोगों की मौत हुई और 90 से अधिक घायल हुए। इस घटना के बाद मेला क्षेत्र को पूरी तरह नो-व्हीकल जोन बना दिया गया है। चार फरवरी तक शहर में चार पहिया वाहनों की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
आवश्यक सेवाओं पर भी प्रतिबंध
मेला प्रशासन ने दूध, खाद्य पदार्थ और मेडिकल उपकरण जैसे आवश्यक वस्तुओं के वाहनों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी है। इससे कल्पवासियों और श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतें हो रही हैं। कई लोग बच्चों के लिए दूध खरीदने के लिए भटकते दिखे, जहां दूध उपलब्ध था वहां उसे दोगुने दाम पर बेचा जा रहा था।
प्रशासन पर उठे सवाल
हालांकि, कुछ सरकारी वाहनों में अधिकारियों द्वारा अपने परिवार और रिश्तेदारों को संगम स्नान कराने की शिकायतें भी सामने आई हैं। यहां तक कि एंबुलेंस का दुरुपयोग कर श्रद्धालुओं को ढोने की घटनाएं भी देखी गईं।
प्रशासन की अपील
मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचने में सहयोग करें। भगदड़ जैसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन ने कड़े कदम उठाने का संकल्प लिया है।