पावन संगम नगरी प्रयागराज में ‘महाकुंभ’ अपने दिव्य स्वरूप में शुरू हो चुका है। यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और अध्यात्म का विशाल सागर है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी आत्मा की शांति और पवित्रता की तलाश में पहुंचे हैं। माघ पूर्णिमा और मकर संक्रांति के अमृत स्नान ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर श्रद्धालुओं का अद्भुत संगम दिखाया।

इस बार का महाकुंभ विशेष खगोलीय संयोग में आयोजित हो रहा है, जो 144 वर्षों में एक बार होता है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनने प्रयागराज पहुंच रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, स्पेन और रूस से आए भक्तों ने गंगा स्नान कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

रूस से आए तीर्थयात्रियों ने कहा, “यहां आकर असली भारत देखने का अवसर मिला। यहां की ऊर्जा और प्रेम अद्भुत है।” ब्राजील के फ्रांसिस्को ने कहा, “भारत दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र है। पानी ठंडा है, लेकिन हमारा दिल भक्ति से गर्म है।”

सात वर्षों से सनातन धर्म का पालन कर रहीं जेरेमी ने कहा, “सनातन धर्म तर्क और विश्वास का संगम है। यह सुंदर और समझने योग्य है।”

महाकुंभ का यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि विश्वभर के भक्तों के लिए भी भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक बन गया है।