
कुल 10,380 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाला यह संयंत्र 2047 तक भारत के 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य में 10% का योगदान देगा।
नई दिल्ली: उत्तर भारत की पहली परमाणु परियोजना हरियाणा के गोरखपुर में स्थापित की जा रही है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए इसे भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्होंने कहा कि यह संयंत्र चालू होने के बाद छह परमाणु रिएक्टरों का समूह होगा, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1,730 मेगावाट होगी। कुल 10,380 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाला यह संयंत्र 2047 तक भारत के 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य में 10% का योगदान देगा।
बुधवार को लोकसभा में उठाए गए सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी नवीनीकरण के अधीन है और पारिस्थितिकी व सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय किए गए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भूकंपीय क्षेत्र में स्थित होने और संरक्षण समूहों की आपत्तियों के बावजूद सरकार परियोजना की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त है।
समुद्री जीवन और स्थानीय आजीविका पर प्रभाव को लेकर बार-बार उठाए गए सवालों पर मंत्री ने कहा कि सरकार ने इन सभी आशंकाओं का समाधान करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य-आधारित अध्ययन किए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब तक के अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि परियोजना से मत्स्य पालन, समुद्री जीवन या स्थानीय निवासियों को कोई खतरा नहीं होगा।
पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि दिसंबर 2022 में यह मंजूरी प्रक्रियागत देरी के कारण समाप्त हुई थी, न कि किसी नई पर्यावरणीय आपत्ति के चलते। उन्होंने कहा, “अगर कोई गंभीर पर्यावरणीय खतरा होता, तो हमें पहले ही मंजूरी नहीं मिलती।”
परियोजना की प्रगति पर बात करते हुए मंत्री ने बताया कि प्रारंभिक मंजूरी 2008 में दी गई थी, लेकिन फ्रांसीसी हितधारकों के साथ समझौतों में बदलाव के कारण इसमें देरी हुई। अब तकनीकी समझौतों को अंतिम रूप देने के बाद वाणिज्यिक शर्तों को तय करने के लिए फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत जारी है।