
पटना: बिहार की सियासत में इफ्तार पार्टियां अब राजनीतिक समीकरणों के संकेत बन गई हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी से वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने दूरी बना ली, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चिराग पासवान की इफ्तार में पहुंचकर सभी को चौंका दिया।
नीतीश न सिर्फ चिराग की पार्टी में पहुंचे, बल्कि उनके साथ गर्मजोशी से बातचीत भी की। इससे यह साफ हो गया कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए अपने अंदरूनी समीकरणों को दुरुस्त कर रहा है। दूसरी तरफ, लालू यादव की इफ्तार पार्टी में कांग्रेस के बड़े चेहरे नदारद रहे, यहां तक कि तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले मुकेश सहनी भी नज़र नहीं आए।
दिलचस्प बात यह रही कि नीतीश कुमार, जो 2020 के चुनाव में चिराग पासवान के खिलाफ कथित ‘चिराग मॉडल’ से नाराज थे, अब उनसे नजदीकियां बढ़ाते दिखे। इस इफ्तार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद रहे, जिससे एनडीए की एकजुटता का संदेश गया।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कांग्रेस और राजद पर हमला करते हुए कहा कि इन पार्टियों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा वक्फ विधेयक को लेकर एनडीए नेताओं की इफ्तार पार्टियों से दूरी बनाए जाने के बयान पर भी चर्चा हुई।
चिराग ने जवाब देते हुए कहा, “मैं हिंदू हूं, फिर भी इफ्तार का आयोजन करता हूं, क्योंकि जब हिंदू-मुसलमान साथ बैठकर भोजन करते हैं, तो यह सद्भाव का संदेश देता है। अगर कोई धार्मिक नेता इसे राजनीतिक चश्मे से देखता है, तो यह आयोजन की पवित्रता के खिलाफ है।” उन्होंने मौलाना मदनी के प्रति सम्मान जताते हुए कहा कि उनसे उनके परिवार के करीबी संबंध रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे पर उन्हें भी अपनी शिकायत दर्ज करनी पड़ी।
इस घटनाक्रम से साफ है कि बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं, और चुनाव से पहले सियासी पत्ते अब तेजी से फेंटे जा रहे हैं!