उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा उपचुनाव का राजनीतिक महत्व काफी अधिक है। यह चुनाव 9 सीटों पर आयोजित हो रहा है, जो पूर्वांचल, अवध और जाटलैंड के क्षेत्रों में फैली हुई हैं। यह उपचुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार और विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है, खासकर 2024 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर।

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करहल, कटेहरी, कुंदरकी, सिसामऊ, खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, मीरापुर और मजहावन सीटें उपचुनाव में शामिल हैं। इनमें से चार सीटें समाजवादी पार्टी के पास थीं, तीन बीजेपी के पास, और एक-एक सीट आरएलडी तथा निषाद पार्टी के कब्जे में थीं।

यह चुनाव केवल विधायकों के चयन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एनडीए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बीच जनसमर्थन का भी संकेत देगा। बीजेपी इन चुनावों को अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मान रही है, जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इसे योगी सरकार की नीतियों के खिलाफ जनादेश के रूप में देख रही हैं।

मतदान 20 नवंबर को होगा और इसके परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा उपचुनाव के नतीजे भी आएंगे।