उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव जिले में बुधवार शाम एक दर्दनाक रेल हादसा हुआ, जब लखनऊ से मुंबई जा रही पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की अफवाह फैल गई। घबराए यात्रियों ने ट्रेन से कूदने की कोशिश की, जिससे वे विपरीत दिशा से आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस की चपेट में आ गए। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 15 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, पुष्पक एक्सप्रेस के इंजन से चौथे जनरल डिब्बे में ब्रेक बाइंडिंग के कारण धुआं निकलने लगा। यात्रियों ने इसे आग लगने की घटना समझ लिया और ट्रेन में अफरातफरी मच गई। घबराहट में लोगों ने चेन पुलिंग कर ट्रेन रोकी और प्लेटफॉर्म न होने के कारण पटरी पर उतर गए। इसी दौरान विपरीत दिशा से तेज रफ्तार में आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस ने कई यात्रियों को कुचल दिया।

यह दुर्घटना शाम 4:19 बजे परांदा रेलवे स्टेशन के पास हुई, जो मुंबई से लगभग 400 किमी दूर है। हादसे के बाद रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया। महाराष्ट्र सरकार की 108 एम्बुलेंस की 8 गाड़ियां और रेलवे की रेस्क्यू वैन मौके पर भेजी गईं। प्रशासन ने मृतकों और घायलों के परिजनों के लिए जिलाधिकारी कार्यालय के हेल्पलाइन नंबर जारी किए। इस घटना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया (X) पर पोस्ट कर गहरा दुख और संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि घायलों को सर्वोत्तम इलाज दिया जाएगा और इस घटना की विस्तृत जांच होगी।

यह हादसा कई बड़े सवाल खड़े करता है। क्या रेलवे के सुरक्षा प्रबंधन में कोई चूक हुई थी, और क्या रेलवे कर्मियों को ब्रेक बाइंडिंग से उठने वाले धुएं की जानकारी थी? क्या यात्रियों में घबराहट फैलने से यह दुर्घटना हुई, और क्या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान की जरूरत है? आपातकालीन प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है या नहीं? रेलवे और प्रशासन ने इस घटना की गहन जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।