भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जापान अब अपनी सेमीकंडक्टर इकाइयों को भारत में स्थापित करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस दिशा में दोनों देशों ने जुलाई में एक समझौता भी किया था। माना जा रहा है कि जापान की भागीदारी से भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में विकास की गति और तेज होगी।

जापानी विशेषज्ञता से मिलेगा लाभ

डेलॉयट जापान के शिंगो कामया ने कहा कि जापानी कंपनियां भारत के साथ साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं। डेलॉयट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सेमीकंडक्टर सेक्टर की वृद्धि के लिए कुशल कार्यबल, वित्तीय समर्थन और तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता है। जापान की विशेषज्ञता इस दिशा में भारत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।

क्वाड साझेदारी का हिस्सा

जापान क्वाड (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) का ऐसा दूसरा देश बन गया है जिसने अमेरिका के बाद भारत के साथ सेमीकंडक्टर के संयुक्त विकास और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग के लिए समझौता किया है। यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

डेलॉयट इंडिया का दृष्टिकोण

डेलॉयट इंडिया के अध्यक्ष रोहित बेरी ने कहा, “टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञता के मामले में सेमीकंडक्टर के महत्वाकांक्षी और दीर्घकालिक परिवेश को विकसित करने के लिए जापान से बेहतर साझेदार नहीं हो सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि यह सहयोग सिर्फ कारखानों तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को विकसित करने की दिशा में काम करेगा।

भविष्य की पीढ़ियों को फायदा

इस साझेदारी से सिर्फ मौजूदा उद्योग को नहीं, बल्कि भारत और जापान की आने वाली पीढ़ियों को भी लाभ होगा। यह पहल न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि रणनीतिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी भारत को एक वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र बनाने में मदद करेगी।

जापान की भागीदारी सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगी और दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।