नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुंदर नर्सरी में छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के दौरान संवाद किया और उन्हें नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और परीक्षा के तनाव से निपटने के महत्वपूर्ण मंत्र दिए। उन्होंने कहा, “आप सम्मान मांग नहीं सकते, आपको इसे कमाना होगा। इसके लिए खुद को बदलना जरूरी है। लीडरशिप थोपी नहीं जाती, बल्कि इसे अर्जित किया जाता है।”

प्रधानमंत्री ने छात्रों को समझाया कि एक सच्चे लीडर के लिए टीमवर्क और धैर्य सबसे जरूरी गुण हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई कक्षा मॉनीटर छात्रों को अनुशासन में रहने की सलाह देता है, तो उसे खुद भी अनुशासित होना होगा। उसे समय पर आना होगा, होमवर्क पूरा करना होगा, दूसरों की मदद करनी होगी और उनकी समस्याओं को समझना होगा। जब लोग देखेंगे कि वह उनकी परवाह करता है, तो वे उसे स्वाभाविक रूप से सम्मान देने लगेंगे।

चुनौतियों से लड़ने और खुद को बेहतर बनाने की सलाह

प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को खुद की चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि यदि पिछली परीक्षा में किसी छात्र ने 30 अंक प्राप्त किए थे, तो उसे इस बार 35 अंक पाने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी तरह, हर बार खुद को थोड़ा और बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “आपकी असली प्रतिस्पर्धा खुद से होनी चाहिए, दूसरों से नहीं।”

क्रिकेट का उदाहरण देकर परीक्षा के तनाव से निपटने का मंत्र

पीएम मोदी ने क्रिकेट का उदाहरण देकर बताया कि परीक्षा के दौरान बाहरी दबाव को नजरअंदाज करना क्यों जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब कोई बल्लेबाज स्टेडियम में खेलता है, तो दर्शक अलग-अलग बातें कहते हैं—कोई छक्का लगाने को कहता है, तो कोई चौका। लेकिन अगर बल्लेबाज इन आवाजों को सुनकर खेलने लगे, तो वह जल्द ही आउट हो जाएगा। इसी तरह, छात्रों को भी बाहरी दबाव को भूलकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भ्रम और गूगल पर निर्भरता से बचने की सलाह

पीएम मोदी ने छात्रों को बिना सोचे-समझे किसी भी जानकारी पर भरोसा न करने की सलाह दी। उन्होंने एक घटना साझा करते हुए कहा कि एक बच्चा गेहूं की रोटी नहीं खाता था क्योंकि किसी ने उसे कह दिया था कि यह त्वचा का रंग गहरा कर देगी। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “कहीं आप लोग भी खाने से पहले गूगल गुरु से तो नहीं पूछते कि आज क्या खाना चाहिए?” इस पर छात्रों ने हंसते हुए जवाब दिया।

नेतृत्व का सही अर्थ और धैर्य का महत्व

बिहार के एक छात्र विराज ने प्रधानमंत्री से लीडरशिप से जुड़ा सवाल पूछा, जिस पर उन्होंने कहा कि नेतृत्व का मतलब केवल बड़े-बड़े भाषण देना या पारंपरिक नेता की तरह दिखना नहीं होता। सच्चा लीडर वही होता है, जो अपने कार्यों से दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करे। उन्होंने कहा, “लीडरशिप थोपी नहीं जाती, यह आपके व्यवहार से हासिल होती है।”

पीएम मोदी ने टीम वर्क और धैर्य का महत्व बताते हुए कहा कि यदि किसी को कोई काम दिया गया है और वह पूरा नहीं कर पाता, तो उस पर नाराज होने के बजाय उसकी समस्या को समझना चाहिए। उन्होंने “जहां कम, वहां हम” का मंत्र दिया, यानी जहां जरूरत हो, वहां मदद करनी चाहिए।

माता-पिता को बच्चों की क्षमताएं समझने की सलाह

प्रधानमंत्री ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों की क्षमताओं को पहचानें और उन पर अनावश्यक दबाव न डालें। उन्होंने कहा कि हर बच्चा अलग होता है और उसे अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।

असफलता से सीखने की प्रेरणा

पीएम मोदी ने बताया कि सफल खिलाड़ी हमेशा अपने मैच की रिकॉर्डिंग देखकर अपनी गलतियों से सीखते हैं। उन्होंने छात्रों से भी यही करने को कहा—अपनी असफलताओं को अपना शिक्षक मानें और उनसे आगे बढ़ने की प्रेरणा लें।

मौसमी खानपान और स्वास्थ्य पर चर्चा

प्रधानमंत्री ने छात्रों से हल्के-फुल्के अंदाज में पूछा कि क्या वे सीजनल फल और सब्जियां खाते हैं। उन्होंने हंसते हुए कहा, “गाजर का हलवा तो सभी खाते होंगे?” जिस पर छात्रों ने मुस्कुराते हुए सहमति जताई।

प्रधानमंत्री मोदी की इस बातचीत ने न केवल छात्रों को परीक्षा से जुड़े तनाव को दूर करने में मदद की, बल्कि उन्हें नेतृत्व क्षमता, आत्मनिर्भरता और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की भी प्रेरणा दी।