केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है, जिसके तहत अब कक्षा 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 23 दिसंबर को जारी किए गए अधिसूचना के अनुसार, अब इन कक्षाओं में जो छात्र वार्षिक परीक्षा में फेल होंगे, उन्हें दो महीने के अंदर पुनः परीक्षा देने का मौका मिलेगा। यदि छात्र पुनः परीक्षा में भी सफल नहीं होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

पहले, ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के तहत छात्रों को फेल होने के बावजूद अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन अब इस नीति को समाप्त कर दिया गया है। इस बदलाव के साथ, छात्रों को प्रमोट होने के लिए शैक्षिक मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता और पढ़ाई के स्तर को सुधारने के उद्देश्य से इस नीति को खत्म किया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए अब ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ लागू नहीं होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र अपनी शैक्षिक यात्रा में गंभीरता से शामिल हों और वे अध्ययन के प्रति प्रतिबद्ध रहें।

अब, यदि कोई छात्र कक्षा 5वीं या 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होता है, तो उसे अगले दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। यदि छात्र फिर से फेल हो जाता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, छात्र को रोकने की स्थिति में शिक्षक उसे और उसके अभिभावक को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे और उसके सीखने में जो भी अंतराल होंगे, उन्हें दूर करने के लिए विशेष सहायता दी जाएगी।

यह नीति पहले शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत लागू की गई थी, जिसके तहत कक्षा 8 तक किसी भी छात्र को रोकने की अनुमति नहीं थी। हालांकि, इस नीति के लागू होने के बाद कई राज्यों ने यह महसूस किया कि छात्र पढ़ाई में गंभीर नहीं हो रहे हैं और वे केवल परीक्षा के डर से पढ़ाई नहीं कर रहे थे। इसी कारण, 2019 में RTE अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को यह निर्णय लेने का अधिकार दिया कि वे इस नीति को जारी रखना चाहते हैं या नहीं। इसके बाद 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया था।

केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय 3,000 से अधिक केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, सैनिक स्कूलों और अन्य केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में लागू होगा। इस नीति का उद्देश्य छात्रों को जिम्मेदार बनाना और उनकी शिक्षा को बेहतर बनाना है।

हालांकि, शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा राज्य का विषय है, और इसलिए राज्य सरकारें इस विषय पर अपनी नीतियों के अनुसार निर्णय ले सकती हैं। अब तक 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इस नीति को खत्म कर दिया है। जिन राज्यों ने इसे समाप्त नहीं किया है, वे अब भी ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को लागू कर रहे हैं।

अंत में, शिक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी छात्र को किसी भी स्कूल से बाहर नहीं किया जाएगा, जिससे बच्चों के शिक्षा का अधिकार सुरक्षित रहे।