वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संसदीय समिति की बैठक में बुधवार को भारी हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने कार्यवाही को जल्दबाजी और अनुचित प्रक्रिया बताते हुए बैठक का बहिष्कार किया, हालांकि बाद में वे लौट आए। समिति के चेयरमैन और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति को अभी छह राज्यों के अधिकारियों और अन्य हितधारकों की राय लेनी है। उन्होंने स्वीकार किया कि 123 संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड और शहरी मंत्रालय के बीच विवाद सहित कई लंबित मुद्दों के समाधान के लिए कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत है। समिति की सदस्य और बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने बताया कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से समिति का कार्यकाल 2025 के बजट सत्र तक बढ़ाने का अनुरोध किया जाएगा।

विपक्षी दलों ने समिति की कार्यवाही पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि रिपोर्ट को 29 नवंबर तक लोकसभा में पेश करने की जल्दी है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, डीएमके के ए राजा, आप के संजय सिंह और टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने कार्यवाही का बहिष्कार किया और चेयरमैन पर सरकार की ओर से समयसीमा पूरी करने का दबाव होने का आरोप लगाया। गोगोई ने कहा कि लोकसभा स्पीकर ने पहले ही कार्यकाल बढ़ाने का संकेत दिया था, लेकिन चेयरमैन जल्दबाजी में रिपोर्ट पेश करना चाहते हैं। टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने पूरी प्रक्रिया को “मजाक” करार देते हुए कहा कि प्रमुख गवाहों को बुलाए बिना ही निर्णय लिए जा रहे हैं।

वाईएसआर कांग्रेस सांसद विजय साई रेड्डी ने कहा कि कई राज्यों के वक्फ बोर्ड और हितधारकों को अभी तक सुना नहीं गया है। बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में विधेयक के प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा हुई। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए अधिक समय की आवश्यकता पर सभी सदस्यों ने सहमति जताई। कार्यकाल बढ़ने की स्थिति में वक्फ संशोधन विधेयक इस संसद सत्र में पेश नहीं हो पाएगा और संभवतः 2025 तक लंबित रह सकता है।