
राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ ने सदन की कार्यवाही में “पक्षपातपूर्ण” रवैया अपनाया। कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि “इंडिया” गठबंधन के पास यह कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है, और जल्द ही इस पर बहस और मतदान होगा।
राजनीतिक महत्व
यह प्रस्ताव विपक्ष और सरकार के बीच तीव्र टकराव को दर्शाता है। विपक्ष का कहना है कि संवैधानिक पद पर निष्पक्षता अपेक्षित है, लेकिन धनखड़ के फैसले और बयान इस मानदंड पर खरे नहीं उतरते।
आगे की प्रक्रिया
प्रस्ताव पारित करने के लिए विपक्ष को बहुमत का समर्थन जुटाना होगा। संसद के शीतकालीन सत्र में यह मामला चर्चा का मुख्य केंद्र रहेगा। यदि प्रस्ताव विफल होता है, तो यह सरकार के लिए राहत की बात होगी। लेकिन अगर इसे व्यापक समर्थन मिलता है, तो यह सत्तारूढ़ दल के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
राजनीतिक असर
यह घटनाक्रम न केवल संसद की कार्यवाही को प्रभावित करेगा बल्कि आगामी राजनीतिक परिदृश्य पर भी गहरा असर डालेगा। सत्ता और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर बहस से लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा का अवसर मिलेगा।