भारत हमेशा से अध्यात्म, सेवा, ज्ञान और करुणा की भूमि रहा है। यह देश युवाओं की भूमिका को पहचानने और उन्हें राष्ट्र निर्माण में प्रेरित करने वालों का रहा है। ऋषियों, शिक्षकों, चिंतकों और गुरुओं ने सदैव युवा शक्ति को समाज और देश के कल्याण के लिए मार्गदर्शन दिया है। ऐसे ही एक प्रेरक आदर्श हैं – स्वामी विवेकानंद, जिनके विचार आज भी युवाओं के लिए दीपस्तंभ हैं।

स्वामी विवेकानंद मानते थे कि युवा वही है जो अतीत की चिंता छोड़कर भविष्य के लक्ष्यों पर केंद्रित रहता है। उनके अनुसार भारत का युवा अपने गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य की कड़ी है। यही कारण है कि आज का भारत, युवाओं के नवाचार, समर्पण और ऊर्जा से नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है।

देश की 65% आबादी यानी लगभग 85 करोड़ युवा आज शिक्षा, तकनीक, खेल, स्वास्थ्य, स्टार्टअप और समाज सेवा जैसे हर क्षेत्र में भारत को अग्रणी बना रहे हैं। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से लेकर डिजिटल इंडिया तक, युवाओं की भूमिका निर्णायक रही है। हर क्षेत्र में भारतीय युवा अपनी छाप छोड़ रहे हैं, फिर चाहे वो हेकाथॉन हो या स्पोर्ट्स के अंतरराष्ट्रीय मंच।

आज भारत विश्व के टॉप-3 स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल है। भारत यूनिकॉर्न कंपनियों का तीसरा सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है और हर साल 15,000 से अधिक पेटेंट दर्ज हो रहे हैं। ये सब दर्शाता है कि भारत का युवा सिर्फ सपना नहीं देखता, बल्कि उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है।

आज के युवा अपने सपनों को राष्ट्र की जरूरतों से जोड़ रहे हैं। वे ‘Ease of Doing Business’ के साथ-साथ ‘Ease of Living’ की नींव रख रहे हैं। वे ऐसा भारत बना रहे हैं जिसमें हर व्यक्ति बराबर है, और हर किसी को उड़ान भरने का मौका मिल रहा है।

विश्व पटल पर भारतीय युवाओं का प्रदर्शन हमारी आर्थिक शक्ति का मेरूदंड बन रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तक भारत के युवाओं से सीखने की बात कह चुके हैं। आज जरूरत है कि हम इस युवा ऊर्जा को सही दिशा दें, उन्हें अवसर प्रदान करें ताकि वे राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदार बन सकें।

उपनिषदों की भावना – “तमसो मा ज्योतिर्गमय” – हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का संदेश देती है। अमृतकाल का यह समय शोध, नवाचार और ज्ञान के विस्तार का है। हमें एक ऐसा भारत बनाना है जिसकी जड़ें हमारी परंपराओं में हों और जो आधुनिकता के आकाश में निरंतर विस्तारित हो।

हमें अपनी संस्कृति और आध्यात्मिकता को जीवंत रखते हुए, टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य को लगातार आधुनिक बनाना होगा। प्रसिद्ध संत भीम भोई की भावना “जगत उद्धार हेउ” हमें यह सिखाती है कि व्यक्ति से ऊपर समाज और देश का कल्याण होता है।

युवाओं की सामूहिक शक्ति, उनके विचार, उनके कर्म और उनके संकल्प से ही वैभवशाली, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। अब समय है – संकल्प लेने का, समर्पण का और सतत प्रयासों के साथ आगे बढ़ने का।