New Delhi: वैश्विक रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल ने भारत की लॉन्ग-टर्म क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB-’ से बढ़ाकर ‘BBB’ और अल्पकालिक रेटिंग को ‘A-3’ से बढ़ाकर ‘A-2’ कर दिया है, जबकि आउटलुक को स्टेबल रखा गया है। यह अपग्रेड 18 साल बाद हुआ है—S&P ने आखिरी बार जनवरी 2007 में भारत की रेटिंग बढ़ाई थी। वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता, सक्रियता और मजबूती को दोबारा साबित करता है।

S&P ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा। एजेंसी के मुताबिक, अगले तीन साल में भारत की जीडीपी औसतन 6.8% सालाना की दर से बढ़ेगी, जबकि 2025 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान है, जो वैश्विक मंदी के बीच उभरते बाजारों के अन्य देशों से बेहतर है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत राजकोषीय घाटा कम करने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे रहा है। पिछले 56 वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) का बजट में हिस्सा लगातार बढ़ा है। केंद्रीय सरकार का कैपेक्स 2026 तक 11.2 ट्रिलियन रुपये (जीडीपी का 3.1%) तक पहुंचने का अनुमान है, जो एक दशक पहले केवल 2% था। राज्यों के खर्च को मिलाकर यह आंकड़ा जीडीपी के लगभग 5.5% तक जा सकता है।

S&P का मानना है कि बेहतर बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी लंबी अवधि की आर्थिक वृद्धि में आने वाली बाधाओं को दूर करेंगे। महंगाई लक्ष्य आधारित मौद्रिक नीति के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं—2008 से 2014 के बीच महंगाई कई बार दो अंकों में थी, लेकिन पिछले तीन साल में वैश्विक ऊर्जा कीमतों और आपूर्ति संकट के बावजूद खुदरा महंगाई औसतन 5.5% रही है, और हाल में यह आरबीआई के 2-6% लक्ष्य दायरे के निचले स्तर पर बनी हुई है। एजेंसी के अनुसार, मजबूत घरेलू पूंजी बाजार और स्थिर मौद्रिक माहौल आने वाले वर्षों में भारत की विकास गति को मजबूती देंगे।