गांधीनगर, गुजरात: नीति आयोग ने शनिवार को गुजरात के गांधीनगर स्थित गिफ्ट सिटी में “भारतीय नवाचार इकोसिस्टम में तालमेल का निर्माण” (Building Synergies in the Indian Innovation Ecosystem) विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसकी मेजबानी गुजरात विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (गुजकॉस्ट) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, गुजरात सरकार ने की। कार्यशाला में नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया और संवादात्मक चर्चाओं का आयोजन किया।

उद्घाटन सत्र में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने सरकारी निकायों, शिक्षाविदों और उद्योग के सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, अनुवाद संबंधी शोध को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने डीपटेक स्टार्टअप्स के समर्थन और भारत को सेवा-आधारित से उत्पाद-आधारित उद्योग मॉडल में बदलने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

कार्यशाला के प्रमुख सत्रों में “भारत नवाचार करता है” पर चर्चा हुई, जिसका संचालन अटल नवाचार मिशन के पूर्व एमडी डॉ. आर. रामनन ने किया। इसके बाद, “नवाचार नीति और राज्य योजनाएं” सत्र में राज्य-स्तरीय पहलों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की गई, जिसकी अध्यक्षता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की प्रमुख, डॉ. रश्मि शर्मा ने की।

“नवाचार के सारथी” सत्र में जमीनी स्तर के नवोन्मेषकों और स्टार्टअप्स की प्रेरणादायक कहानियां साझा की गईं, जिसका संचालन राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन (एनआईएफ) के निदेशक डॉ. अरविंद रानाडे ने किया। वहीं, “विश्व में उभरता भारत” सत्र में भारत की वैश्विक नवाचार पदचिह्न को मजबूत करने पर चर्चा हुई, जिसमें डब्ल्यूआईपीओ के डॉ. साचा वुन्श-विंसेंट और गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजुल गज्जर ने योगदान दिया।

डॉ. साचा वुन्श-विंसेंट ने भारत के नवाचार इकोसिस्टम के अगले 10 वर्षों की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, बौद्धिक संपदा में हो रही प्रगति और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्लस्टर्स के विस्तार को रेखांकित किया। कार्यशाला ने भारत के नवाचार क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए अहम दिशानिर्देश प्रस्तुत किए।