नई दिल्ली: ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध मंगलवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है और दोनों ओर से हमले और तेज़ हो गए हैं। इज़रायली हवाई हमलों में अब तक ईरान में कम से कम 224 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें तेहरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी, परमाणु वैज्ञानिक और नागरिक शामिल हैं। वहीं, इज़रायली अधिकारियों के मुताबिक, ईरान की ओर से किए गए हमलों में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 24 लोग मारे गए हैं। इज़रायली सेना ने मंगलवार तड़के जानकारी दी कि उसने ईरान से लॉन्च की गई नई मिसाइलों का पता लगाया है।

इस बीच, मिडिल ईस्ट में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने तेहरान में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत ने ईरान की राजधानी तेहरान में रह रहे भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों से सुरक्षित स्थान पर जाने और भारतीय दूतावास से संपर्क बनाए रखने की अपील की है।

उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G7 शिखर सम्मेलन के समापन से पहले ही सम्मेलन स्थल छोड़ दिया है और इज़रायल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की गहरी भागीदारी का संकेत दिया है। उन्होंने तेहरान के लोगों को तुरंत शहर खाली करने की चेतावनी दी है। इसी बीच G7 देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए मिडिल ईस्ट में शत्रुता को कम करने का आह्वान किया है। G7 नेताओं ने कहा कि वे इज़रायल की आत्मरक्षा के अधिकार और उसकी सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं, जबकि उन्होंने ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता और आतंक का मुख्य स्रोत बताया।

बयान में यह भी कहा गया कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार नहीं रखने दिया जा सकता। यह संकट उस वक्त गहरा गया जब इज़रायल ने शुक्रवार को ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमला किया, जबकि उसी दौरान तेहरान और वाशिंगटन के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता चल रही थी।

इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया है कि इन हमलों से ईरान का परमाणु कार्यक्रम वर्षों पीछे चला गया है। इस टकराव का असर न सिर्फ मिडिल ईस्ट की स्थिरता बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर भी पड़ सकता है।

( इनपुट: विभिन्न खबरों के आधार पर )