पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को SCO सदस्यों की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी कर रहा है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर इस्लामाबाद पहुंचे हैं। SCO में चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल है। ये देश दुनिया की 40 फीसद आबादी और 30 फीसद GDP का हिस्सा हैं।

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 9 साल के लंबे अंतराल के बाद पाकिस्तान की धरती पर कदम रखा। यह अवसर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन का है, जिसमें दक्षिण एशिया के देशों के बीच सहयोग और सुरक्षा पर चर्चा की जा रही है। इस्लामाबाद में आयोजित इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे डॉ. जयशंकर का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

डॉ. जयशंकर की यह यात्रा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने SCO समिट में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान भारत के विदेश मंत्री की उपस्थिति का स्वागत किया और इसे क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की दिशा में यह एक सकारात्मक कदम हो सकता है।

इस समिट में आतंकवाद, व्यापार, और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है, जहां दोनों देशों के प्रतिनिधि विचार-विमर्श करेंगे। खास बात यह है कि डॉ. जयशंकर और पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय मुलाकातें भी हो सकती हैं, जिनसे रिश्तों में नई दिशा की उम्मीद की जा रही है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा SCO जैसे बहुपक्षीय मंच के जरिए दोनों देशों के बीच संवाद के नए अवसर प्रदान कर सकती है, हालांकि अभी यह देखना बाकी है कि इन बातचीतों से दोनों देशों के बीच जमी बर्फ कितनी पिघलेगी। हालाँकि, इस यात्रा के प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों और कूटनीतिक विशेषज्ञों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

भारत और पाकिस्तान के संबंध लंबे समय से संघर्षपूर्ण रहे हैं, विशेषकर कश्मीर मुद्दे को लेकर। ऐसे में यह यात्रा एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है कि दोनों देश संवाद के माध्यम से अपनी समस्याओं को हल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।