
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अक्टूबर 2024 का पेरोल डेटा जारी करते हुए बताया कि इस महीने 13.41 लाख सदस्यों को अपने साथ जोड़ा गया। इनमें से 7.50 लाख नए सदस्य हैं, जो संगठित क्षेत्र में बढ़ते रोजगार के अवसरों और कर्मचारियों में सामाजिक सुरक्षा को लेकर जागरूकता का संकेत देते हैं। साथ ही, ईपीएफओ द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता और जुड़ाव कार्यक्रम भी इन आंकड़ों में वृद्धि का अहम कारण हैं।
युवा कार्यबल का दबदबा
अक्टूबर 2024 में ईपीएफओ से जुड़े नए सदस्यों में से 58.49% की उम्र 18 से 25 साल के बीच है। इस आयु वर्ग के 5.43 लाख सदस्य पहली बार नौकरी करने वाले युवा हैं। यह ट्रेंड बताता है कि युवा पीढ़ी संगठित क्षेत्र में तेजी से प्रवेश कर रही है और ईपीएफओ को सामाजिक सुरक्षा के लिए प्राथमिक विकल्प के रूप में अपना रही है।
पुन: जुड़ने वाले सदस्यों में वृद्धि
पेरोल डेटा के अनुसार, अक्टूबर 2024 में करीब 12.90 लाख सदस्यों ने ईपीएफओ छोड़ने के बाद फिर से इसे जॉइन किया। यह आंकड़ा अक्टूबर 2023 की तुलना में 16.23% अधिक है। आमतौर पर ये सदस्य नौकरी बदलने के दौरान ईपीएफओ से बाहर हो जाते हैं और फिर अपने कर्मचारी लाभों को जारी रखने के लिए दोबारा जुड़ते हैं।
राज्यवार योगदान
ईपीएफओ के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 में कुल सदस्यता वृद्धि में से 61.32% योगदान देश के पांच प्रमुख राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का रहा, जो कुल 8.22 लाख नेट सदस्य हैं। इनमें सबसे अधिक 22.18% योगदान महाराष्ट्र से आया। इसके अलावा, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और गुजरात ने भी अक्टूबर में प्रत्येक राज्य का योगदान 5% से अधिक रहा।
ईपीएफओ का यह डेटा न केवल संगठित क्षेत्र में रोजगार के बढ़ते अवसरों को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि युवाओं और पुनः जुड़ने वाले सदस्यों के माध्यम से ईपीएफओ की सदस्यता मजबूत हो रही है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के संगठित क्षेत्र के विस्तार का भी संकेत है।