आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक एवं एमसीयू के प्राध्यापक डॉ. संजय द्विवेदी ने ‘गलत सूचनाओं’ से मुकाबला कैसे हो’ विषय पर किया संवाद

भोपाल: टेलीविजन या डिजिटल आने के बाद भी अखबारों की महत्ता कम नहीं हुई है। कितने भी प्लेटफॉर्म आ जाएं, लेकिन खबरों की विश्वसनीयता के लिए आज भी अखबार पर ही सबसे ज़्यादा भरोसा किया जाता है। उपभोक्ताओं को मीडिया साक्षर बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। गलत सूचनाओं से निपटने के लिए समाज को मीडिया साक्षर बनाना आवश्यक है। यह बात भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. संजय द्विवेदी ने नवदुनिया कार्यालय में ‘गलत सूचनाओं से मुकाबला कैसे हो’ विषय पर संवाद के दौरान कही।

मीडिया साक्षरता को पाठ्यक्रम में शामिल करना होगा

डॉ. संजय द्विवेदी ने कहा कि स्कूल के पाठ्यक्रम में पहली से 12वीं तक में मीडिया साक्षरता को शामिल करना चाहिए। कई देशों के विश्वविद्यालयों में मीडिया साक्षरता को पाठ्यक्रम में शामिल कर छात्रों को तैयार किया जा रहा है। हमारे देश में भी इसके लिए गंभीर प्रयास की आवश्यकता है। नवदुनिया ने मीडिया साक्षरता की अनिवार्यता को बार-बार उठाया है।

डिजिटल को भी अखबार का ही सहारा

डॉ. संजय द्विवेदी ने बताया कि लोगों को समझना होगा कि सूचना और समाचार अलग हैं। कोई सूचना एक फर्जी वीडियो के जरिए भी फैल सकती है, लेकिन क्या वह सत्य है? इसकी पुष्टि के लिए विश्वसनीय माध्यम की आवश्यकता होती है। यह काम आज भी अखबार ही करते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म भी अपनी पुष्टि के लिए अखबारों का ही सहारा लेते हैं।

गलत सूचनाओं से खतरा

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि सूचना के संचारकरण और त्वरित संचार की गति तो है, लेकिन इससे विश्वसनीयता को बनाए रखना बड़ी चुनौती है। इंटरनेट मीडिया के ज़रिए लोकप्रियता पाना आसान है, लेकिन विश्वसनीयता बनाए रखना आसान नहीं है। मीडिया में विश्वसनीयता सबसे ज़रूरी है, नहीं तो लोकतंत्र भी कमजोर पड़ता है। उन्होंने कहा कि गलत सूचना, दुष्प्रचार और अफवाहें समाज में तनाव और हिंसा की जड़ बन सकती हैं।

इसलिए बच्चों को बनाना होगा मीडिया हैंडलिंग में दक्ष। सही सूचना की पहचान और झूठी जानकारी का खंडन करना आना चाहिए। तभी हम एक सशक्त और साक्षर समाज बना पाएंगे जो गलत सूचनाओं का शिकार न हो।