
New Delhi: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष पर भारत सरकार की चुप्पी को लेकर कड़ा बयान दिया है। उन्होंने गाज़ा में जारी तबाही और ईरान पर इज़राइल के हमले को लेकर चिंता जताई है और भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया को “मूल्यों का आत्मसमर्पण” बताया है। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत ने हमेशा नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं का पालन किया है, लेकिन हालिया घटनाओं पर सरकार की खामोशी एक “चिंताजनक बदलाव” है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत को स्पष्ट रूप से अपनी बात रखनी चाहिए और हर कूटनीतिक माध्यम का इस्तेमाल करके पश्चिम एशिया में तनाव कम करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में साफ कहा कि कांग्रेस पार्टी 7 अक्टूबर को हुए हमास के आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करती है, लेकिन इज़राइल की ओर से उसके बाद जो जवाबी कार्रवाई हुई है, जिसमें अब तक गाज़ा में 55,000 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं और क्षेत्र भुखमरी के कगार पर पहुंच चुका है, उसे भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर शांति को कमजोर करने और कट्टरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान को परमाणु हथियारों के करीब बताने वाले बयान को “निराशाजनक” बताया।
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि भारत के ईरान से ऐतिहासिक सांस्कृतिक और कूटनीतिक रिश्ते रहे हैं और इज़राइल के साथ बढ़ते रणनीतिक संबंधों के बीच भारत एक “शांति सेतु” की भूमिका निभा सकता है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और वैश्विक समुदाय की नजरें भारत जैसे जिम्मेदार लोकतंत्र पर टिकी हैं।