New Delhi: भारत ने चीन द्वारा दलाई लामा के पुनर्जन्म पर नियंत्रण जताने की कोशिशों का कड़ा विरोध किया है। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार केवल दलाई लामा और उनके द्वारा स्थापित “गादेन फोडरंग ट्रस्ट” को है। इस प्रक्रिया में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप, खासकर चीन की भूमिका, को पूरी तरह खारिज किया गया है। दरअसल, चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने हाल ही में बयान दिया कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की प्रक्रिया चीन के नियंत्रण और “गोल्डन अर्न” प्रणाली के तहत होनी चाहिए और इसके लिए केंद्रीय सरकार की मंजूरी जरूरी है।

इसके जवाब में भारत के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला सिर्फ धार्मिक परंपराओं और उनके ट्रस्ट के अनुसार होगा, न कि किसी सरकार के इशारे पर। 14वें दलाई लामा ने भी पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी सिर्फ गादेन फोडरंग ट्रस्ट और संबंधित धर्मगुरुओं द्वारा मान्यता प्राप्त होगा और इस प्रक्रिया में किसी भी राजनीतिक ताकत का दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह मामला भारत और चीन के बीच पहले से ही संवेदनशील संबंधों को और जटिल बना सकता है। अमेरिका समेत कई देश चीन से धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की अपील कर चुके हैं, जिससे यह मुद्दा अब एक वैश्विक चिंता बनता जा रहा है।