नई दिल्ली: नई दिल्ली में 11 अक्टूबर, 2025 को दैनिक जागरण ने अपने पूर्व प्रधान संपादक श्री नरेंद्र मोहन की स्मृति में पहली बार ‘जागरण साहित्य सृजन सम्मान’ का भव्य आयोजन किया। यह पहल हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान को पहचान देने और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के तहत की गई। मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने प्रख्यात लेखक श्री महेंद्र मधुकर को उनके उपन्यास ‘वक्रतुण्ड’ के लिए 11 लाख रुपये के ‘जागरण साहित्य सृजन सम्मान’ से सम्मानित किया। इस उपन्यास की प्रेरणा भारतीय परंपरा और आध्यात्मिकता की गहरी सांस्कृतिक जड़ों से मिली है। महेंद्र मधुकर ने बताया कि उन्होंने आठ वर्ष की आयु में कविताएँ लिखना शुरू कीं और अब तक 18 से अधिक उपन्यास प्रकाशित कर चुके हैं।

साथ ही ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के तहत नौ अन्य साहित्यकारों को ‘दैनिक जागरण कृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के अंतर्गत हिंदी बेस्टसेलर, उत्तम में सर्वोत्तम और नवांकुर श्रेणियों में कथा, कथेतर, कविता और अनुवाद सहित कुल चार वर्गों के लिए 9 विजेताओं का चयन किया गया। इतिहासकार विक्रम संपत, अभिनेता-संगीतकार-लेखक पियूष मिश्रा, कवि शकील आज़मी, लेखक डॉ. ओमेंद्र रत्नू, नवोदित लेखक अतुल कुमार राय और लेखक अक्षत गुप्ता सहित सभी विजेताओं को ₹50,000 की राशि प्रदान की गई। चयन प्रक्रिया में साहित्यिक मौलिकता, गुणवत्ता, पठनीयता और प्रासंगिकता को प्राथमिकता दी गई। निर्णायक मंडल में प्रसून जोशी, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, शरण कुमार लिंबाले, प्रो. कुमुद शर्मा, डॉ. कौशल पंवार और श्री चित्तरणजन त्रिपाठी जैसी प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल थीं।

दैनिक जागरण कृति सम्मान के विजेताओं में ‘चांदपुर की चंदा’ (अतुल कुमार राय), ‘यूपीएससी वाला लव, कलेक्टर साहिबा’ (कैलाश मांजू विश्नोई), ‘महाराणा- सहस्त्र वर्षों का धर्मयुद्ध’ (डॉ. ओमेन्द्र रत्नू), ‘द हिडन हिंदू भाग 1’ (अक्षत गुप्ता), ‘चाय सी मोहब्बत’ (परितोष त्रिपाठी), ‘तुम्हारी औकात क्या है’ (पियूष मिश्रा), ‘भारतवर्ष के आक्रांताओं की कलंक कथाएँ’ (मे. डा. परशुराम गुप्त), ‘बनवास’ (शकील आज़मी) और ‘सावरकर: एक भूली बिसरी अतीत की गूंज’ (विक्रम संपत) शामिल हैं।

इस समारोह ने हिंदी साहित्य की समृद्धि और मौलिक रचनात्मकता को बढ़ावा देने का संदेश दिया और यह सुनिश्चित किया कि हिंदी की विविध विधाओं में उत्कृष्ट रचनाएँ लगातार मान्यता प्राप्त करें।