New Delhi: भारत में चालू वित्त वर्ष के दौरान सीमेंट की मांग में 6.5 से 7.5 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, मांग में यह बढ़त उद्योग की प्राप्तियों और परिचालन लाभप्रदता को मजबूती देगी, जो ₹100 प्रति टन तक बढ़कर दशकीय औसत से ऊपर पहुंच सकती है। मजबूत बैलेंस शीट और स्वस्थ कमाई के चलते सीमेंट कंपनियों की क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर बनी रहेगी। यह रिपोर्ट देश की 17 बड़ी सीमेंट कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है, जो कुल घरेलू बिक्री का 85% से अधिक हिस्सा रखती हैं।

पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में चुनावों और अनियमित मानसून के कारण निर्माण गतिविधियाँ धीमी रहीं, जिससे मांग में केवल 2-3% की वृद्धि हुई। हालांकि दूसरी छमाही में सुधार के साथ सालभर में कुल मांग 5% तक बढ़ गई। इस वर्ष ग्रामीण आवास क्षेत्र में 7-8% की वृद्धि से मांग को बल मिलेगा, जो अब इंफ्रास्ट्रक्चर की जगह मुख्य मांग चालक बनेगा। बेहतर मानसून, कृषि आय में वृद्धि, कर कटौती और नियंत्रण में रही महंगाई से ग्रामीण मांग को मजबूती मिलेगी।

इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट भी स्थिर गति से बढ़ेगा और कुल मांग में 30% हिस्सेदारी बनाए रखेगा। वहीं सीमेंट की कीमतों में भी 2-4% तक बढ़ोतरी की उम्मीद है। ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से ईंधन लागत में बचत होगी, जो कच्चे माल की बढ़ी कीमतों की भरपाई में मदद करेगी। हालांकि लंबा मानसून या वैश्विक तनाव मांग और लाभ को प्रभावित कर सकते हैं।

Source: DD News