हैदराबाद: भारतीय शिक्षण मंडल की अखिल भारतीय प्रांत प्रमुखों की त्रिदिवसीय बैठक का शुभारंभ आज कान्हा शांति वनम, हैदराबाद में हुआ। इस राष्ट्रीय बैठक में देशभर के सभी राज्यों से आए 274 प्रांत टोली कार्यकर्ताओं सहित 30 से अधिक कुलगुरु, प्रमुख शिक्षाविद और राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक भाग ले रहे हैं।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि त्रिपुरा के राज्यपाल श्री एन. इंद्रसेना रेड्डी ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल की ऐतिहासिक पहल गुरुकुल परंपरा के पुनर्जागरण और भारत-केंद्रित मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली को पुनर्स्थापित करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “भारत के पास विश्व को देने के लिए अद्भुत ज्ञान-संपदा है, और 21वीं सदी भारत की होगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षा सिर्फ सूचना नहीं, बल्कि मूल्य और संस्कृति का संवाहक बननी चाहिए।

पूर्व DRDO अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने विशेष अतिथि के रूप में कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे अभियानों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अब तकनीकी क्षमता के आधार पर वैश्विक चर्चा का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने बताया कि तकनीकी आत्मनिर्भरता की नींव देश की शिक्षा व्यवस्था पर ही टिकी होती है।

भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत भाषण में कहा कि संगठन शिक्षकों के सतत प्रशिक्षण और युवाओं को बौद्धिक योद्धा के रूप में तैयार करने के मिशन पर कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षण मंडल के 70% सुझाव स्वीकार किए गए हैं। 2024 में आयोजित “विविभा” कार्यक्रम के माध्यम से 1400 से अधिक युवा शोधार्थियों को भारत-केंद्रित अनुसंधान की ओर प्रेरित किया गया है।

बैठक के संचालन में तेलंगाना प्रांत के पदाधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही। सत्र का संचालन डॉ. उमा ने किया, अतिथि परिचय डॉ. मधुकर ने प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. शिवराज ने दिया।